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________________ - - ४३ ওলাম भारम्भत्यारेण होतेय, असा लिागीर' प्रदानेन-जोरिनर पेक्ष्येण आदाय अयाभिप्तेन मान्यानिनेन पंतगा उग्र तप कला तृती यभवे मुक्ति गत. ॥५१॥ अध मायलकथा भासीदव भरतक्ष हस्तिनापूरे नगरऽजल्यग्यतो गे नाम राना । तम्या सीत्मभारती नाम महिपी | परदा मा मुसोमनाया गयाया गयाना स्वप्ने सिंह दृष्टपती। तया निवेदितम्बमत्तान्तो भूपतिस्ता मोगर-टेी! यथा सिंहो वने स्वपराक्रमेण मृगादिपरान पराजित्य नरामय करोति तर्थर वत्स पलः राजनपि) मानल नामके राजपि ने (सिरि मिरसा आदायप्रिय शिरसा आदाय) सयम रूप भार श्री को शिर से पंढे आदर भाव से-धारण करके (अपरियण चेयसा-अन्याक्षिप्तेन चेतसा) चचलतावर्जित एकाग्रता से (उग्ग तय फिच्चा-उग्र तप कृत्या) उग्रतपस्या करके तृतीयभव मे मुक्ति लाभ किया है। महायल की कथा इस प्रकार है भरत क्षेत्र के अन्तर्गत हस्तिनापुर नगर मे पहिले जतुलयल~ सपन्न एक पल नामके राजा रहते थे । इनकी पटरानी रा नाम प्रभावती था । एक दिन रानी ने सुशेमल शय्यापर सोती हुई स्वप्न मे सिंह को देना। भाभातिक क्रियाओं से निवृत्ति पाकर वह अपने पति के पास पहुंची और रात्रि में देखे हुए इस स्वप्न को कह कर इसका क्या फल है ऐसा उनसे पूछा। राजा ने स्वप्नफल इस प्रकार कहा-देवि ! जिस प्रकार सिंह वन में मृग आदि पशुओं को जीतकर बन ऋपिः महामनामना सपिय सिरि सिरसा आदाय-श्रीय शिरसा आदाय श्रीन पाताना भरत४ 6५२ धा मा२ मा साथे धार ४२ अन्धविखत्तेण चेयसा-अध्यालिप्तेन चेतसा यशसता त यिनी ताथी उग्ग तव किच्चा-उग्र तप. क्रत्वा तपस्या ४शन की सभा मुक्तिना सारा ४२ख छ મહાબલની કથા આ પ્રકારની છે – - ભરત ક્ષેત્રની બ દર આવેલા હરિતનાપુરનગરમા આગળ અતુલ એવા બળશાળી એક બલ નામના રાજ હતા તેની સ્ત્રીનું નામ પ્રભાવતી હતુ તે એક દિવસ પાતાળ સુકોમળ શિયા ઉપર રાત્રે સૂતી હતી ત્યારે તેણે સ્વનામાં એક સિંહને જે સવારની ક્રિયાઓથી નિવૃત થઈને તે પિતાના પતિની પાસે પહોંચી અને શત્રમાં જોયેલા સ્વપ્નની વાત કહીંને તે સ્વપ્નના ફળને પૂછયું રાજાએ સ્વપ્નના ફળને એ પ્રમાણે કહ્યું, દેવી ! જે પ્રમાણે સિહ મૃગ આદિ પશુઓને જીતીને વનનું રાજ
SR No.009354
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1961
Total Pages1130
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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