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मोपपातिकको __ मूलम्--से णं तत्थ णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाण राइदियाणं वीडकताण सुकुमालपाणिपाए जाव ससिसोमाकारे कते पियदसणे सुरूवे दारए पयाहिए ॥सू ४३ ॥
मूलम्--तए ण तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे
टीका-'से ण तत्व' इत्यादि। 'से ण तत्थ' स खल तत्र 'णवण्हें मासाण' नवसु मासेपु, अन सप्तम्यर्थे पष्टी, एवमप्रेऽपि, 'बहुपडिपुण्णाण' बहुप्रतिपू गैपु-सर्वथा व्यतीतेपु, 'अद्धमाण' अर्धाष्टमेपु-सार्धसप्तमु 'राइन्दियाण' रात्रिन्दिषु 'वीइक्ताण' व्यतिका तेपु व्यतीतेषु 'जाव ससिसोमाकारे ' यावत् शशिसौम्याकार - च द्रवत्सुन्दर , 'कते' कात -कमनीय , 'पियदसणे' प्रियदर्शन , 'सुरुवे' सुरूप, 'दारए' दारक =पुत्र 'पयाहिए' प्रजनिष्यते-उत्पत्स्यते ॥ सू ४३ ॥
टीका-'तए ण' इत्यादि ।
'तए ण तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे' तत खलु तस्य दारकस्य अम्बापितरौ प्रथमे दिवसे 'ठिइवडिय' स्थितिपतित-कुलमर्यादाप्राप्त-पुत्रजमोत्सव
'से ण तत्थ णवण्ह मासाण' इत्यादि ।
(तत्थ) गर्भ मे (गवण्ह मासाण बहुपडिपुण्णाण अट्ठमाण राइदियाण वौइकताण) नौ महीने साढे सात दिनरात बीतने पर (सुकुमालपाणिपाए जाव ससिसोमा कारे कते पियदसणे सुरुवे दारए पयाहिइ) यह सुकुमार पाणिपादवाला यावत् चद्रमा के समान सौम्य आकारवाला, कात, प्रियदर्शन एव सुन्दररूप से विशिष्ट ऐसा पुन उत्पन्न होगा ॥ सु ४३ ॥
'तए ण तस्स दारगस्स' इत्यादि। (तए ण) इसके बाद (तस्स दारगरस) इस बालक के (अम्मापियरो) माता 'से ण तत्थ णवण्ह मासास' इत्यादि
(तत्थ) सभा (णवण्ह मासाण बहुपडिपुण्णाण अट्ठमाण राइ दियाण वीइकताण) न५ महिना मन सा सात हिनरात पीत्या पछी (सुकुमाल-पाणि-पाए जार ससिसोमाकारे कते पियदसणे सुरूवे दारए पयाहिइ) એ સુકુમાર હાથપગવાળે, યાવત્ ચ દ્રમા જે સૌમ્ય આકારવાળે, કાત, પ્રિયદર્શન, તેમજ સુદર રૂપથી વિશિષ્ટ એ પુત્ર ઉત્પન્ન થશે (સૂ ૪૩)
'तए ण तस्स दारगरस' छत्या (तए ण) त्यार पछी (तस्स दारगस्स) मा मातना (अम्माप्पियरो) भाता