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________________ ४१२ - औपपातिवस्त्रे घोसाण सखिखिणीजालपरिरिखताण हेमवय-चित्त-तिणिस-कणग-णिजुत्त-दारुयाण कालायस-सुकय-णेमि-जत-कम्माण सुसिवाधविशेष ९, 'सो' वा वाचविगेर १०, 'साहो' गा प्रमिद , 'पणा य वार समा' पगनश्च द्वादा -तत्र पगव -पटर 'ढोल' नि मा । 'स-सिसिणी-जाल परिस्वित्ताण' समिडिया-जाल-परिति हानाम्-सर किदियामि झुण्टिकाभि सहित यजालक=आभरणविशेष तेन जालफन परिक्षिमा मुशोभितान्तपाम्, 'हेमरय-चित्त-तेणिस कणग णिज्जुत्त-दारुयाण' हैमवत-चित्र-निग-कनक-नियुक्त-दारुकाणाममवतानिहिमपगिरिसम्भूतानि, चित्राणि-विचिनागि, तैनगानि=तिनगनामकतरसम्बधीनि, कनकनिर्युक्तानि-सुवर्णसचितानि, दास्काणि-काष्ठानि येपु रथेषु तेषाम् , 'कालायस-मुकय णेमि-जतकम्माण' कालायस मुकृत-नेमि-यन्त्र-कर्मगाम्-कालयसेन कर्मगलौहेन सुटु कृत नेमे =चक्रधाराया यत्रकर्ममधनक्रिया येपा ते तथा तेपा कर्कगलौहमन्पारितनेमिबन्धनबद्धानाम्, 'सुसिलिट्ठ-वत्त-मडलधुराण' सुग्लिट-वृत्त-मण्डल-धुराणाम्सुष्टु प्रिया वृत्तमण्डला - अ पतगोलाकारा धूर्येषा त तया तेया दृढघटितपटह-ढोल । इन बारह प्रकार के वादिनों से विशिष्ट ये रथ थे । इन पर जो जालकआभरणविशेष सजान में आये थे, अथवा इन रथों में जो जालिया थीं वे सब क्षुद्र-छोटी छोटी घटियों से युक्त थीं । इनसे रथा की गोभा मे अधिक वृद्धि हो रही थी। ये रथ जिस काष्ठ के बने हुए थे, वह काष्ठ तिनश नामका था। यह हिमवत गिरि से मगाया गया था और सहुत सुटर था । इस काष्ठ के ऊपर सुवर्ण का काम किया हुआ था। ये रथ इहीं काओं के बने हुए थे। इनके पहियों पर मजबूत लोहे के पट्टे चढाये हुए थे। (सुसिलि रत्त मडल धुराण) इनका धुराये बहुत ही मजबूत एव गोल आकार का थीं। प्राधविशेष-15 तनु पाg, वश-पामनु पाविशेष, श, मने मारभु पणवपटह-ढोरा मारेय घडारन वाभित्रोथी विशिष्ट या २५ ता तन। ५२ જે જાત છે ભરણવિશેષ સજાવવામા આવ્યા હતા, અથવા આ મા જે જળી હતી તે બધી મુદ્ર-નાની નાની ઘટડીઓવાળી હતી એનાથી રાની શેભામાં અધિક વૃદ્ધિ થતી રહેતી હતી આ રથ જે લાકડાને બનાવ્યા હતા તે લાકડા તિનશ નામના હતા એ હિમવત ગિરિથી મગા વેલા હતા અને બહુ જ સુંદર હતા આ લાકડાની ઉપર સુવર્ણનું કામ કરવામાં આવેલું હતું એ રથ આ જ લાકડાના બનાવ્યા હતા તેમના 21 6५२ मत बढाना पट्टा याच्या उता (मुसिलिट्ठ-वत्त-मडल-धुराण)
SR No.009353
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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