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________________ ओपपातिकमा प्पिया नामगोयस्सवि सवणयाए हह-तुह-जाव-हियया भवति, से णं ममणे भगव महावीरे पुव्वाणुपुल्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे चंपाए णयरीए उवणगरग्गामं उवागए चंप णार पुण्णभद चेइयं समोसरिउकामे।तं एवं देवाणुप्पियाणं पियट्टयाए पियं णिवेदेमि, पिय ते भवउ ॥ सू०१८॥ नामगोयस्सवि सवणयाए हट्ठ-तुटु-जार-डियया भवति' यत्य भगवत खलु हे देवानुप्रिया ! नामगोत्रस्यापि-नाम:' महावीर' इति, गोत्र वश -काश्यप गोत्रम् इति तयोरित्यर्थ , श्रवगतया श्रवणेन इत्यर्थ , स्वार्थिकस्ताप्रग्ययः प्राकृतशैलीप्रभव इति, हृष्ट-तुष्ट-यावत्-हृदया भवन्ति, ‘से ण समणे भगव महावीरे' स खलु श्रमणो भगवान् महावीर -अतिशयमहिमावित श्रमण --साधु, भगवान्-परमैश्वर्यसम्पन्न महावीर इति अन्वर्थनामा 'पुवाणुपुचि चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे चपाए गयरीए उवणगरग्गाम उवागए' पूर्वानुपूर्व्या चरन् ग्रामानुग्राम द्रवन्-चम्पाया नगर्या उपनगरग्राम-नगरसमीपवर्तिन प्रामम् उपागत -समागत । किमर्थम् ? अाह'चप णयरिं पुण्णभद्द चेय समोसरिउकामे' चम्पा नगरी 'पूर्णभद्रनामकम् उपासना करूँगा, (जस्स ण देवाणुपिया नामगोयस्सवि सवणयाए हट्ट-तुटुजाव-हियया भवति ) हे देवानुप्रिय ' जिनका नाम तथा गोत्र-बग सुनकर भा । आपका हृदय हष्ट तुष्ट हुआ करता है, (मे ण समणे भगव महावीरे) वे श्रमण भगवान्=परमैश्चर्यसम्पन्न, गुगनिष्पन्न नामवाले महावीर (पुवाणुपुलिं चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे चपाए णयरीए उवणगरग्गाम उवागए) पूर्वानुपूर्वीरूप से विहार करते हुए, एक ग्राम से दूसरे ग्राम में विचरते हुए आज चपा नगरी के समीप ग्राम में पधारे हुए हैं, (चपणयरिं पुण्णभद्द चेय समोसरिउकामे ) और કર્યો કરે છે કે કયારે હું પ્રભુના ચરણમાં ઉપસ્થિત થઈને તેમની ઉપાસના ४३, (जस्स ण देवाणुप्पिया । नामगोयस्सवि सवणयाए हट्ट-तुट्ट-जाव-हियया भवति) हे देवानुप्रिया भनु नाम तथा गोत्र-यश सामणीने पण मायनु यट-तुष्ट थई जय , (से ण समणे भगव महावीरे) ते श्रम लगवान् परमेश्वयंपन्न, शुशुनिष्पन्न नाभवामा मडावीर (पुव्वाणुपुचि चरमाणे गामाणुगाम दुइजमाणे चपाए णयरीए उवणयरग्गाम मागए) पूर्वानुषी ३५थी વિહાર કરતા કરતા એક ગામથી બીજે ગામ વિચરતા વિચરતા આજ पानी सभीपना गाममा पायर्या , ( चप णार पण्णभर चेरय
SR No.009353
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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