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________________ ८१८ E - m पुन:-क्रमश:=परिपाटया, सुती-पुत्री अनुनयन्त-पुत्रौ प्रति विषयमुखमाशंकपचनैः गृहावासरूप स्वाभिप्रायं प्रकाशयन्तम् , च-पुनः धनेन तो निमन्त्रयन्तम्-पक्षीफर्तुमिच्छन्तमित्यर्थ , तथा च-ययाक्रम-कामभोगावापि, एकारोऽप्यर्यका, तो निमन्वयन्तम्, अर्थात्-वेदानधोत्य, नाग्मणान् भोजयित्वा, भोगान् शुक्ला, इत्याधरसर दर्शयन्त त पुरोहित प्रसमीक्ष्य-दृष्ट्वा तो कुमारको इद वक्ष्यमाण मास्यम् उक्तवन्ताविति शेपः॥११॥ पोलनेवाले एच (सुए अणुणित-सुतौ अनुनयन्तम्) पुत्रोको विषयमुख प्रदर्शक वचनों द्वारा "घर में ही रहो" इस प्रकार कहकर मनाने वाले तथा (धणेण निमतयत-धनेन निमनयन्तम् ) उनको धनका प्रलोभन दिखाकर अपने वशमें करने की भावनानाले, तथा (जहम कामगुणेहि चेव-यथाक्रम कामगुणैश्चैव) यथाक्रम काममोगों द्वारा भी-हे पुत्रो ! वेदों को पढ़ो, ब्राह्मणोको जिमावो, भोगोंको भोगों' इस प्रकार रिझानेवाले उस अपने पिता (पुरोहिय-पुरोहितम् ) पुरोहितको (प्रसमिक्ख-प्रस. मीक्ष्य ) देखकर (कुमारगा-तौ कुमारको) उन दोनों कुमारोंने इस प्रकार (वक-वाक्यम् ) वचनोंको करा___ भावार्थ-पुरोहितसे दीक्षा अगीकार करनेकी आज्ञा जब दोनों पुत्रोंने मागी तो उसको बड़ा अधिक दुःख हुआ। पुरोहितने उनको हरतरह समझाया और समझाते २ जब वह एक तरहसे हताश जैसा हो गया तो उसको बड़ाही शोक हुआ। उससे वह सतप्त हो गया। वास्तवमें जिस समय प्राणी शोकाधीन वनकर आकुल व्याकुल होने लगता है मन सुए अणुणित-सुतौ अनुनयन्तम् पुत्रान विषय सुम प्र पायी घरमा । २३" मा प्रभारे डीने मनाव तया धणेन निमतयन्तम्धनेन निमन्त्रयन्तम् अन धननु प्रसासन मनापी घाताना पशा ४२पानी साना मन जहकम कामगुणेहिं चेव-यथाक्रम कामगुणश्वव यथाम म ભેગે દ્વારા પણ હે પુત્રે ! વેદોને ભણે, બ્રાહ્મણોને જમાડે, ભોગેને ભેગ मा प्रमाणे रिमेश पोताना पिता पुरोहिय-पुरोहितम् पुरोहितने पसमिक्ख-प्रसमीक्ष धन ते कुमारगा-तौ कुमारको मे भन्ने सुमारास मा १२ना वक्त-वाक्यम् पयन। हा ભાવાર્થ-પુરોહિત પાસે દીક્ષા અગિકાર કરવાની આજ્ઞા જયારે બન્ને પુત્રો એ માગીતો તેને ખૂબ જ દુખ થયુ પુરોહિતે તેમને સવ રીતે સમજાવ્યા અને સમજાવતા સમજાવતા જયારે તેને હતાશા જેવું લાગ્યું એટલે તેને ખૂબજ દુખ થયુ વાસ્તવમાં જે સમયે પ્રાણી શોકને આધીન થઈને આકુળ
SR No.009353
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1960
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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