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________________ ધ विषय ७४ सत्कारपुरस्कार परीपद, प्रज्ञापरीपद, अज्ञानपरी पदका वर्णन ७५ दर्शन परीपद का वर्णन ७६ परीपद्दों का अवतरण और छद्मस्थ परीपहांका भेद वर्णन पृष्ठ ४८५-५२४ ५२५-५५२ ५५३-५६४ ५६५–५६६ ७८ ७७ केवली परीपद्दों के भेदों का वर्णन अध्ययनका उपसहार और द्वितीयाध्ययन समाप्ति ७९ तृतीयाध्ययन प्रारभ और अङ्ग चतुष्टयका वर्णन और उस विषयमे दश दृष्टान्त ८० जीवका अनेक जातिमे भ्रमण और ससार स्वरूपका वर्णन ८१ जीवका एकेन्द्रि आदिमं भ्रमण ८२ जीवका मनुष्यभव प्राप्तिका क्रम वर्णन ८३ मनुष्यभनका लाभ होनेपर भी धर्मश्रवणकी ५६७-५६९ ५७० - ६२६ ६२७-६३४ ६३५ ६३६-६३८ दुर्लभता ८४ धर्मश्रवण करने पर भी श्रद्धारहित होनेपर धर्मसे भ्रष्ट होना ८५ श्रद्धा लदौभ्यका वर्णन प्रथमनिव जमालि मुनिका दृष्टान्त ८६ द्वितीय निह्नव तिष्यगुप्त मुनिका दृष्टान्त ८७ तृतीय निह्नव आपाढाचार्यका दृष्टान्त ७०२-७१० ८८ चतुर्थ निह्नव अश्वमित्रका दृष्टान्त ८९ पचमनिहव गङ्गाचार्यका दृष्टान्त ९० छट्टा निहत्र रोहगुप्तका दृष्टान्त ७१०-७२७ ७२८-७६० ९१ सप्तम निह्वत्र गोष्ठमाहिल मुनिका दृष्टान्त ७६१-७७६ ९२ वोटिक दृष्टान्त ७७६-७८७ ६३९-६४० ६४१-६४२ ६४२-६७६ ६७६-६९५ ६९६-७०२
SR No.009352
Book TitleUttaradhyayan Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages961
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_uttaradhyayan
File Size28 MB
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