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________________ शानचन्द्रिका टीका-अनक्षरश्रुतनिरूपणम्. ४५५ यत्तु चक्षुषा आम्रफलादिकमुपलभ्य 'आम्रफलम् ' इत्याद्यक्षरानुगत शब्दार्थपर्यालोचनात्मकं विज्ञानं, तच्चक्षुरिन्द्रियलब्ध्यक्षरम् । एवं शेषेन्द्रियलाध्यक्षरमपि बोध्यम् । शिष्यः पृच्छति--' से कि तं' इति । अथ किं तदनक्षरश्रुतमिति । उत्तरमाह-'अणक्खरसुयं०' इत्यादि । अनक्षरात्मकम्-अक्षररहित श्रुतम्-अनक्षरश्रुतम् , तत् अनेकविधं प्रज्ञप्तम् । तद् यथा-उन्छ्वसितपित्यादि । उच्छ्वसितम्-उच्छ्वसनम् । निःश्वसितं-निःश्वसनम् । निष्टयूतं निष्ठीवनम् । कासितम्=कासनम् । च शब्दः समुच्चयार्थः । क्षुतं-क्षवणम्-'छीक' इति भाषाप्रसिद्धम् । निःसिद्धितम् निःसिछनम्-नासिकाजन्यः शब्दः, अनुसारः अनुसरणम्-अधोवायोनिस्सरणं, तज्जनितः श्रोत्रेन्द्रिय लब्ध्यक्षर है, कारण यह श्रोत्रेन्द्रिय के निमित्त से उत्पन्न हुआ हैं। आंख से आम्रफल आदि को देखकर जो ऐसा विचार होता है कि “यह आम्र का फल है" यह चक्षुइन्द्रिय लब्ध्यक्षर है, क्यों कि " यह आन का फल है" इस प्रकार के अक्षर से यह ज्ञान मिला हुआ है और इसमें शब्द एवं उसके अर्थ की पर्यालोचना हो रही है। इसी तरह से शेषइन्द्रिय लब्ध्यक्षर भी जान लेना चाहिये। फिर शिष्य पूछता है-'से किं तं अणक्खर सुयं० ' इत्यादि । अनक्षररूप श्रुतज्ञान का क्या स्वरूप है ? उत्तर-अनक्षररूप श्रुतज्ञान अनेक प्रकार का बतलाया गया है-(१) उच्छ्चसित, (२) निःश्वसित (३) निष्ठयूत, (४) कासित, (२) क्षुत, (छींक) (६) निःसिद्धित, (७) अनुसार, (८) खेलित, आदि (श्लेष्मित, चीत्कार आदि )। नासिकाजन्य शब्द તે શ્રોત્રેન્દ્રિયના નિમિત્તથી ઉત્પન્ન થયું છે આંખથી અમ્રફળ આદિને જોઈને જે એવો વિચાર આવે છે કે “આ આમ્રફળ છે” એ ચક્ષુઈન્દ્રિયલધ્યક્ષર છે, કારણ કે આ આમ્રફળ છે” આ પ્રકારના અક્ષરથી આ જ્ઞાન મળેલું છે, અને તેમાં શબ્દ અને તેના અર્થની પર્યાલચના થઈ રહી છે. એ જ પ્રકારે બાકીની ઈન્દ્રિયેનું લધ્યક્ષર પણ સમજી લેવું. qणी शिष्य पूछे छ-" से कि त अणक्खर सुर्य" त्या€. અનક્ષરરૂપ શ્રુતજ્ઞાનનું શું સ્વરૂપ છે! ઉત્તર–અનક્ષર૩૫ શ્રુતજ્ઞાન અનેક પ્રકારનું બતાવ્યું છે-(૧) ઉચ્છવનિત (२) निश्वसित, (3) नियूत, (४) सित, (५) क्षुत (83), (6) निसबित, (७) मनुसा२ (८) मेलित माह (मित, योc४२, मा) नासि
SR No.009350
Book TitleNandisutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1958
Total Pages940
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nandisutra
File Size58 MB
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