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________________ ૬૮૮ प्रमायाकरणम् सयतेन साधुना 'कालगिग य' काले अपमरे 'वन- क्त यम् । अवम् अनेन मकारेण ' अणुपीइ समिहनोगेण अनुपिचित्यममितियोगेन अनुरिवियों लोच्य यासमितियोगेन-मापास्पारामितिः, तम्या योगेन 'मानिओ' मावित मन्त रप्पी' अन्तरात्मा-जीन:-सजयकरचरणनयणायणो 'सयतकरचरणनयनवदन सयत = सम्यग्यतनायुक्त करचरणनयनादन यस्य स तथोक्त सन् समाहितेन्द्रियः सन्नित्यर्थः, 'मरो' गरः पराक्रमगाठी, 'सन्चज्जरसपभो' सत्याजनसपन्न'-सत्यम् अमृपा आर्जयम् मानुता, ताम्या सपनो-युक्तो भवति । इत्येपामथमा भावना ।। मू-४॥ गया हो ऐसे हों, ऐसे ही वचन साधु को अवसर आने पर-जय तप नरी किन्तु बोलने का जप समय उपस्थित हो तब बोलना चाहिये। (एव) इस प्रकार (अणुवीडममिह जोगेण) अनुविचिन्त्य भाषासमिति के योग से-विचार कर घोलने रूप भापासमिति के समय से (भाविओ अनरपा) भावित हुआ जीव (सजयकरचरणनयणययणो) अच्छी तरह यतना से युक्त कर-हाय, चरण-पैर, नयन-नेत्र एव वदन-मुख वाला बनकर, अर्थात् समाहित इन्द्रियों वाला रोकर (सरो) पराक्रमशाली बन जाता है, अर्थात् सत्यमहावत की आराधना में आये हुए उपसर्गों और परीपहों को जीतने में शक्तिशाली हो जाता है। तथा (सच्चज्जवसपन्नो भवइ ) सत्य और ऋजुता से सपन्न बन जाता है। भावार्थ-अहिंसा प्रत की तरह सत्यव्रत की भी पांच भावनाएँ हैं। उनमे परिली भावना अनुचिचिन्त्य भाषा समिति है। विचारસારી રીતે વિચાર કરી લીધું હોય, એવા વચને જ સાધુએ અવસરે-ગમે ત્યારે નહીં, પણ બોલવાને સમય ઉપસ્થિત થાય ત્યારે બોલવા જોઈએ " एव" मा प्रा" अणुवीइ समिइ जोगेण" मनुविचिन्त्य भाषा समितिना योगथी -वियार ४शन मालवा३५ भाषा समितिना समधथी " भाविओं अतरप्पा" सावित गनेदा १ "सजयकरचरणनयणबयणो " सारी रात યતનાયુક્ત હાથ, પગ, નેત્ર અને મુખવાળા થઈને, અથવા સમાહિત ઈન્દ્રિ योवाणा 52 "सूरो" ५।उभशाणी मनी नय छ सटवे सत्य भडा વ્રતની આરાધનામાં નડેલ ઉપસર્ગો અને પીપહોને જીતવાને સમર્થ બની જાય छ, तथा "सच्चज्जयसपन्नो भवइ" सत्य भने सन्नुताथी युटत मनी नय छ ભાવાર્થ—અહિંસાવ્રતની જેમ સત્યવ્રતની પણ પાચ ભાવનાઓ છે તેમ પહેલી ભાવના અનુવિચિત્ય ભાષાસમિતિ છે વિચારપૂર્વક . તેને અને
SR No.009349
Book TitlePrashna Vyakaran Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size36 MB
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