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________________ ४५६ " , सूर्याफार हस्तरेखानन्तः 'ससपाणिखेहा' शहपाणिरेयाः=शङ्काराररस्तरेखावन्त ' चपपाणिलेहा ' चक्रपाणिरेखा = वक्राकारहस्त रेखायन्त' 'दिसासोबत्यि यपाणिखेहादिस्तिक्पाणिरेखाः=दिकस्यन्तिकः=दक्षिणावर्तस्व स्तिकः= दक्षि णास्वस्तिकः तदाकारा पाणिरेखा येषां ते तथा 'रविससिमसारचकदिसा सोत्थिय विभत्सुरपाणिलेहा रविशशिशश्र्वरचकदिरस्वस्तिकभक्त सुरचित पाणिरेखा = सूर्यचद्रशचनदक्षिणावर्त स्वस्तिलक्षणाः विभक्ता =स्वष्टाः सुरतिदा। सुखदाः पाणिरेखाः = हस्तरेखा येषां ते तथा ' नरमसि राहसी इस रिसहना गवरपडिपुण्ग - विउल - खधा ' बरमहिपबराट सिंहशार्दूल पनागर प्रति पूर्ण पुल स्कन्धाः = तन परमहिषाः = पुष्टशरीरमहिपाः वराहाः शुकराः सिंहा = प्रसिद्धाः शार्दूला. = व्याघ्रविशेषाः ऋषभाः = बलीवर्दाः नागराः = प्रधानहस्तिनः तेपामिन प्रतिपूर्ण = परिणद्धो निपुल शालः सन्धो येषा ते तथा 'चरगुप्पमाण कवरसरिसगीना' चतुरङ्गुलिममाणकम्युपरम दशग्रीना चतुरगुलिममाणा कम्युनरेण= प्रधानगडूखेन सदृशी तुल्याच ग्रीवा = येषा ते तथा, 'अपट्टि मुभि है, तथा (समपाणिलेहा ) किननिक शाव के आकार जैसी होती हैं। (चक्रपाणिलेा ) किननीक ऐसी होती हैं कि जिनका आकार चक्र के जैसा होता है । तथा (दिसासोत्थियपाणिलेहा ) कितनीक ऐमी होती है जो दक्षिणावत पति के आकार में रहती हैं । इस तरह इनके हाथों की सूर्य, चंद्र, शग्व, चफ तथा दक्षिणावर्तस्वतिक के आकार की ये रेवाएँ स्पष्ट होती हैं और सुख देनेवाली होती हैं। तथा-(वरमरिस वराह - सीएस दूररिसह नागवरप डिपुण्गवि उलखधा ) इनके जो स्कध होते है वे पुष्टशरीरवाले महिप, वराह, सिंह, बैल, प्रधान हाथी इनके स्को के समान परिणद्ध-पुष्ट और विशाल होते है। तथा ( चउरगुल माणकबुवर मरिसगीवा ) चार अगुल प्रमाणवाले उत्तम शख के समान इनकी ग्रीवा होती है । ( अवद्विमुविभत्तचित्तसमसू ) तथा "" " ससपाणिलेहा " राजाार, " चक्कपाणिलेहा " डेटसी थार भने “ दिसा सोत्थियपाणिहा કેટલીક દક્ષિણાવર્તી સ્વસ્તિકના આકારની હોય છે તેમના હાથની તે ચન્દ્રાકાર આદિ રેખાએ સ્પષ્ટ અને સુખદ હોય છે તથા 26 वर महिस- वराह - सीह - सधैं उरिसह - नागवर - पडिपुण्ण - बिउलसधा " तेभना अला પુષ્ટ શરીર વાળા પાડા, વરાહ, સિહ, ખળદ અને ગજેન્દ્રના સ્ક ધેા જેવા પુષ્ટ અને વાાળ હોય છે ગ્રીવા ચાર अशुद्ध प्रभा ८८ તથા वाजा चवर गुलप्नमाणकबुवरसरिसगीवा" तेभनी उत्तम शमवी होय छे " अवट्ठिय
SR No.009349
Book TitlePrashna Vyakaran Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size36 MB
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