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________________ प्रश्नप्यावरणसरे रोगदुःखादिजनितदीनविलापएर लोभमोहन फरकलायमानः कामदयुक्तो यो चोला धनि स बहुलो यत्र स तलति सयोगादोनों पदाना कर्मचारयस्त तथा 'अनमाणणफेण' अपमाननफेनम् अपमानफनयुक्त 'धिखिसणपुलं पुलप्पभूयरोगवेयणपराभनपिणियफस परिसणसमारडियाठिणकम्मपत्यरतरग रिंगतनिच्चमच्चुभयतोयप ' तन 'तिव्यखिंपग तीनखिसनम्तीपनिन्दा तथा 'पुलपुल' निरन्तर प्रभूताबहला जायमाना या 'रोगरेयण' रोगवेदना नानाविधाऽऽपिव्याधि-पीडास्ताः, तथा परामरविणिनाय' परामा अना• दरः, तस्य निनिपाता-पिशेपेण प्राण, तया 'फरसपरिसग' पार्षगानि कठोरवचनैः भर्त्सनानि च तानि 'समारडिय' समापतितानिसमापन्नानि येभ्य स्तान्येवम्भूतानि यानि 'कठिणकम्म' कठिनकर्माणि ज्ञानापरणादीनि क्लिष्ट (फलणविलविय ) रोग से ण्व दुःसादि से जन्य करुण विलाप तथा (लोभ ) लोभ एव मोह से जन्य जो (कलकलत) कलकल शब्द, इन से युक्त ( घोल ) ध्वनिया ही जहां (यहुल) यदुलरूप में वर्तमान है (अवमाणणफेण) अपमानरूप फेन से जो युक्त बना हुआ है, (तिव्य खिसण पुलपुल भूयरोग वेयणपराभव विणिवायफरुसरिसण समावडि यकठिणकम्म पत्थर तरग रिंगतनिच्चमुच्चुभयतोयपह) (तिव्वखिसण) तीव्र निंदाऍ तथा (पभूयरोगवेयण) निरतर जायमान अनेक रोग वेद नाएँ-नाना प्रकार की आधि व्याधि रूप पीडाएँ, (पराभवविणिवाय) अनादर की विशेष रूप से प्राप्ति, तथा (फरुसधरिसणसमावडिय) कठोर वचनों द्वारा निर्भर्सन-फटकारना, ये सब जिनके उदय से जीवा को प्राप्त होते रहते हैं, ऐसे ( कढिणकम्मपत्थर ) ज्ञानावरण आदि क्लिष्ट । तया माहिथी 4-1 थयेस ७ विक्षा५ तथा " लोभ ' सोम मन माथी न्य.२ "कलकल त 'saa' Avथी युत " बोल" सपा न्या " बहुल " धारे प्रभामा विद्यमान छ, “अवमाणणफेण" अ५ भान३५ थी २ युटत छ, “तिपसिंसणपुल पुलभूयरोगवेयणपराभव विणिवायफरसपरिसणसमावडियकठिणकम्मपत्थरतर गरिगतनिच्चमच्चुभयतोयपटु " " तिव्वसिंसण " तीन निहासो तथा पयरोगवेयण" નિરતર ઉત્પન્ન થતી અનેક રોગ વેદનાઓ–વિવિધ પ્રકારની આધિ વ્યાધિ રૂપ पाय “पराभवविणिवाय" मोटे लागे मनानी प्रालि, तथा “फरुस धरिसणसमावडिय" और क्या दारा निसनधिछार, 2 मधु रमना यथी वान प्रास थय। ४रे छे, मेवा “कढिणकम्मपत्यर" ज्ञानावर ..
SR No.009349
Book TitlePrashna Vyakaran Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size36 MB
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