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________________ ३५२ प्रशम्याकरणस्त्र क्लान्ताः लानाः 'कासता' काशमानाः कासरोगेण 'ग' इति भदाय मानाः माहिया य ' व्याधिताथ-पृष्ठादिरिधिरोगपीडोता, 'आमाभिभूय गत्ता' आमामिभूतगात्रा भामै = भुक्तानाऽपरिपाक ननितरलीसारादी नाना रोगैरभिभूतानी गानाणि-शरीराणि येपा ते तथा । 'परदनहकेममसुरोमा' शरूढनखकेशश्मश्रुरोमागः, तत्र प्रस्ताः । असकाराव प्रदाः नसा केगाः श्म श्रुणि मुखजातानि 'दाढी' इति भापा मसिहानि रोमाणि च येा ते तथा 'मल मुत्तम्मिणियगम्मि सुत्ता' निज के मलमूने मुत्ता स्वकीये पुरीपमूने 'सुत्ता निमग्ना 'खुत्ता' इति देशी श-द', कारागारे बद्धाः अ यत्र गन्तुमशस्यत्वात् मात मरमूत्रपुरीपपङ्कएर निमग्नास्तिप्ठन्यदत्तग्राहिण इत्यर्थः। तथा 'अकामना' अकामकाः = मरणेलारहिताः 'तत्येन मया तर कारागृहे मृताः सन्तः है । ( मलिण ) ये मलिन चदन एप (दुबला ) शक्तिविहीन बने रहते हैं। (फिलता ) ग्लान रहते है । तथा ( कासता) कासरोग से "खूखू" इस प्रकार का शब्द इनके मुख से निकलने लगता है। और ( वाहिया य ) कुण्ठादि विविध रोगो से ये पीडित होते है (आमा भिभूयगत्ता) इनका शरीर अतिमार आदि नाना प्रकार के रोगों का घर बन जाता है। (परुहनरकेसमप्रोमा)नख, केश, तथा श्मश्रु-दादी के बाल समारे नही जानेके कारण बहुत पढ़ जाते हैं। और (नियगम्मि मलमुत्तम्मि ) इनकी हालत अधिक गभीर बन जाती है कि जिसस कारागार में बद्ध ये विचारे अन्य जगह जाने में असमर्थ होने के कारण अपने ही मलमूत्र मे (खुत्ता) भरे हुए पडे रहते हैं। तथा (अकामगा) नही इच्छा होने पर भी (तत्थेव) उसी में पड़े पड़े वही पर ( मया) २ वस्तुनी ४२॥ ४२ ते वस्तु भने भगती नथी ॥ मलिण" ते सो भलिन बन पा तथा "दुबला" शति विनाना थाय छ, “किलता" नियुत २९ छ, तथा “ कासता" धरसने रणे "भू-भू" या ४२ता डाय छे भने “वाहियाय" ते खोजी अढ माह मने रोगोथी पीता राय छे “आमाभिभूयगत्ता" तमना शरीर अतिसार AIE विविध रोगान। घर मनी नय छ, “परूढनहकेसमसुरोमा" नम, श तथा हादीना पा नहीं पाता पाथी घr qधी नय छ भने "नियगम्मि मलमुतमि" भनी डालत मेवी गली२ लय छ, राडमा पूरायेक्षात લેકે બીજી જ યાએ જવાને અસમર્થ હેવાથી પિતાના જ મળમૂત્રમાં "खना" रा २ छ त “अकामगा" या न डापा छत पर " तत्थेव" त्या४ ५७या ५३या " मया " भरी जय छे त्यार माह "वधि
SR No.009349
Book TitlePrashna Vyakaran Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1106
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size36 MB
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