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________________ २३ वा असुयाणि वा कणगकंताणि वा कणगखचियाणि वा कणगचित्ताणि वा कणगविचित्ताणि वा आभरणाणि वा आभरणचित्ताणि वा आभरणविचित्ताणि वा करेइ वा करेतं वा साइज्जड़ || ११|| 'धरेड' 'परिभुंजड' ॥१२- १३ ॥ जे भिक्खु माउग्गामस्स मेहुणवडियाए इत्थि अक्खसि वा उरंसि वा उयरंसि वासि वा गहाय संचालेइ संचालन वा साइज्जइ ॥ १४ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्त मेहुणवडियाए अण्णमण्णस्स पाए आमज्जेज्ज वा पमज्जेज्ज वा आमज्जेत वा पमज्जंतं वा साइज्जइ ||१५|| एवं उसे जो गमो सो णेयच्चो जाव जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवाडियार गामाणुगामं दुइज्जमाणे अण्णमण्णस्स सीसदुवारियं करेड करेंतं वा साइज्जइ ॥१६-६७॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अनंतरहियाए पुढवीए णिसीयावेज्ज वा तुयट्टावेज्ज वा णिसीयावेत तुयट्टानेंतं वा साइज्जइ ॥ ६८ ॥ 'समिद्धा पुढवीए ॥ ६९ ॥ 'समरक्खाए पुठवीए ॥ ७० ॥ 'महियाकडाए पुठवीए' ॥ ७१ ॥ 'चित्तमंताए पुठवीए' ॥ ७२ ॥ 'चित्तमंताए सिलाए' ॥ ७३ ॥ 'चित्तमंताए टेलुए' 'निसीयावेज्ज' वा 'तुयट्टावेज्जा वा' ॥ ७४ ॥ जे भिक्खु माउग्गामस्स मेहुणवडियाए कोलावासंसि वा दारु वा जावप - ट्ठिए, सढे सपाणे सवीए सहरिए सओसे सउदए सउत्तिंग - पणग-दगमट्टिय-मक्काडासंताणगंसि णिसीयावेज वा तुयट्टावेज्ज वा णिसीयावेंतं वा तुयट्टावेंतं वा साइज्जइ ॥७५॥ जे भिक्खू माउग्गामस्त मेहुणवडियाए आगंतागारेसु वा आरामागारे वा गाहाइकुले वा परियावसहेसु वा णिसीयावेज्ज वा तुयट्टावेज्ज वा णिसीयावेंतं वा तुट्टातं वा साइज्जइ ॥ ७६ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए आगंतागारेसु वा आरामागारे वा गाहाइकुले वा परियावसहेसु वा निसीयावेत्ता वा तुयट्टावेत्ता वा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं अणुग्धासेज्ज वा अणुपाएज्ज वा अणुग्घा संत वा अणुपाएंत वा साइज्जइ ||७७|| जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अंकंसि वा पलियंसि वा निसीयावेज्ज वा तुयट्टावेज वा निसीयावेंत वा तुयट्टावेतं वा साइज्जइ ॥ ७८ ॥ जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अंकंसि वा पलियंकंसि वा णिसीयावेत्ता वा तुट्टावेत्ता वा असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा अणुग्यासेज्ज वा
SR No.009348
Book TitleNishith Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages541
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size32 MB
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