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________________ ७ जं भिक्खू मणुण्णं भोयणजायं पडिग्गाहेत्ता बहुपरियावन्नं सिया अदूरे तत्थ साहम्मिया संभोइया समणुन्ना अपारिहारिया संता परिवसति ते अणापुच्छिय अणिमंतिय परिवे परिहवें तं वा साइज्जइ ||४५|| जे भिक्खू सागारियर्पिडं गिव्हर, गिण्हतं वा साइज्जइ ॥४६॥ जे भिक्खू सागारियपिंड भुंजइ भुंजंतं वा साइज्जइ ॥४७॥ जे भिक्खू सागरियकुलं अजाणिय अपुच्छिय अगवेसिय पुव्वामेव पिंडवायपरिया अणुविस अणुष्पविसंतं वा साइज्जइ ॥४८॥ जे भिक्खू सागारियणीसाए असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा वा ओभासिय शोभासिय जाया जायेतं वा साइज्जइ ॥ ४९ ॥ जे क्खुि उउवद्धियं सेज्जासंथारगं परं पज्जोवसणाओ उवाणांवेइ उवाइणातं वा साइज्जइ ॥ ५०॥ जे भिक्खू वासावासियं सेज्जासंथास्यं परं दसरायकप्पा उवाइणावेइ उवाइणातं वा साइज्जइ ॥५१॥ जे भिक्खू उउवद्धियं वा वासावासियं वा सेज्जासंथारंग उन्चरिसिज्जमाणं पेहाए न ओसारेइ न ओसारेतं वा साइज्जइ ||५२ || जे भिक्खू पाडिहारियं सेज्जासंथारगं दोच्चंपि अणणुण्णवेत्ता वाहिं णीणेइ णीतं वा साइज्जइ ॥५३॥ जे भिक्खू सागारियसंतियं सेज्जासंथारंगं दोच्चपि भ्रणणुण्णवेत्ता वाहिं णीणेइ गीर्णेत वा साइज्जइ ॥ ० ५४ ॥ जे भिक्खू पाडिहारियं सागारियसंतियं वा सेज्जासंथारगं दोच्चपि अणणुण्णवेत्ता वाहि णी णीतं वा साइज्जइ ॥ ५५ ॥ जे भिक्खु पाडिहारियं सेज्जासंथारयं आदाए अपडिहदड संपव्वंयह संपन्नयत वा साइज्जइ ॥ ५६ ॥ जे भिक्खू सागारियसंतियं सेज्जासंथारयं आयाए अविगरणं कट्टु अणप्पिणित्तासंपव्यय संपव्ययंतं वा साइज्जइ ॥५७॥ जे भिक्खू पाडिहारियं वा सागारियसंतियं वा सेज्जासंथारगं विप्पणटुं न गवे - सइ न गवेसंतं वा साइज्जइ ॥५८॥ .t जे भिक्खू इत्तरियंपि उचहिं ण पडिलेहह ण पडिलेहंतं वा साइज्जइ ॥ ५९ ॥ तं सेवमाणे आवज्जइ मासियं परिहारट्टाणं उग्घाइयं ॥ ६० ॥ 7. ॥ निसीइज्झयणे वीओ उद्देसो समत्तो ॥ २ ॥
SR No.009348
Book TitleNishith Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages541
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_nishith
File Size32 MB
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