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________________ ६० गजप्रश्नीयस्त्र गुरुपवरकुदुरुकतुरुकधूवमघमघत गधुझ्याभिरामं सुगंधवरंगधिय गवबद्रिसूयं दिव्यं सुरवराभिगमणजोग्गं कति य कारवति य करेत्ता य कारवेत्ता य खि पामेव उवसामंति, उवसामित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, तेणेव उवाच्छित्ता समणंभगवं महावीरं तिक्खुत्तो जीव वदित्ता नमंसित्ता समणस्स भगवओ महावी. . रस्त अंतियाओ अंबसालवणाओचेइयाओ पडिणिक्खमंति पिडिनि क्खसित्ता ताए उक्ट्रिाए जाव बीइवयमाणा बीइवयमाणा जेणेव सोहम्मे कप्पे जेणेव सूरिया विमाणे जेणेव सुहम्मा सभा जेणेव सूरियामे देवे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सूग्यिाभ देव करयल परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिंक? जएणं विजएणं वडावेति वद्धावित्ता तमाणत्तियं पञ्चप्पिणति ॥ सू. ७ ॥ . छाया-ततः खल ते अभियोगिका देवाः श्रमणेन भगवता महावीरेण एवमुक्ताः सन्तः हृष्ट यावदयाः अमणं भगवन्तं महावीरं वन्दन्ते नमम्यन्ति वन्दित्वा नमस्यित्वा उत्तरपारम्त्यं दिग्भागमवक्रामन्ति, अवक्रम्य :__ 'तएणं ते आभियोगिया देवा' -इत्यादि। मूर्थि---(तएणं) इसके बाद (समणेणं भगवया महावीरेणं एवं चुत्ता समाणा ते आभियोगिया देवा) श्रमण भगवान महावीर द्वारा इ... प्रकार से समझाये गये उन आभियोगिक देशोंने (टुजाव हियया समणं भगवं महावीरं वदंति, नमसंति) हर्पित यावत् हृदय होकर उन श्रमग भगवान को वन्दना की, नमस्कार किया (वंदिता नमंसित्ता उत्त'पुर 'तएणं ते आभियोगिया देवा' इत्यादि। सूत्रार्थ (तएणं) त्या२पछी (समणेणं भगवया महावीरेणं एवंवुत्ता समाणा ते आभियोगिया देवा) श्रम मावान महावीर 43 Pा प्रभारी सभामा भावेदा ते मालियोनि देवोन्मे (हट्ट जाव दियया समणं भगवं महावीरं वंदंति, नमंति) पित यावत्य थ नेते श्रम मगवान महावीरना-ना नभ२४२ श्या...
SR No.009342
Book TitleRajprashniya Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages721
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_rajprashniya
File Size55 MB
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