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________________ . ५४० राजप्रश्नीयसूत्रे ... छाया--सभायाः खलु मुधर्मायाः उत्तरपौरस्त्ये अत्र खलु महदेकं सिद्धायतनं प्रज्ञप्तम्, एक योजनशतम् श्रआयामेन, पञ्चाशद् योजनानि विष्कम्भेण, हालतति योजनानि ऊर्ध्वम् उच्चत्वेन, सभागमेन यावत् गोमानसिकाः, भूमिभागा उल्लोकास्तथैव । तस्य खलु सिद्धायतनस्य बहमध्यदेशमागे अत्र खलु महत्येका मणिपीठिका प्रज्ञप्ता, षोडशयोजनानि आयामविष्कम्भेग, अष्ट योज. 'सभाए णं सुहम्माए' इत्यादि । सूत्रार्थ--(सभाए ण सुहम्माए उत्तरपुरस्थिमे ण महेगे सिद्धाययणे पण्ण) सुधर्मासभा के इशानकोन में एक विशाल सिद्धायतन कहा गया है. (एगं जोयणसयं पायामेण, पन्नास जोयणाइ विक्ख भेण, वावरिं जोयणाई उ? उच्चशेण, सभागमेण जाव गोमाणसियाओ, भूमिभागा उल्लोया तहेब) यह सिद्धायतन एक सौ योजन का लम्या है और ५० योजन का विस्तारवाला है तथा इसकी ऊचाई ७२ योजन की है. सभा के वर्णन में जैसा पहिले पाठ गोमानसी तक कहा गया है, वैसा ही पाठ इस . सिद्धायतन के वर्णन में कहना चाहिये. यहां पर भूमिभाग और उल्लोक का कथन भी उसी प्रकार से करना चाहिये. (तस्स सिद्धायग्रणस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ ण महेगा मणिपेढिया पण्णत्ता) इस सिद्धायतन के बहुमध्य देशभाग में एक विशाल मणिपीठिका कही गई है (सोलसजोय. णाई आयामविखंभेण अट्ठ जोयणाई बाहल्लेण) इसका आयाम और सभाएण मुहम्माए' इत्यादि । सूत्रा :- सभाएण सुहम्माए उत्तरपुरथि मेण एत्थ ण महेगे सिद्धाययणे पण त्ते) सुधमा समान शान सभा में विशाण सिद्धायतन ४वाय छ. एग जायणसय आयामेणं पन्नास जायणाई विक्ख भेणं, वावरिं जायणाई उडू उच्चत्तेण सभागमेणं जावं गामाणसियाओ, भूमिभागा उल्लाया तहेव) मा सिद्धायतनी 15 मे सो योन सी छ, तेन विस्तार ૫૦ એજન જેટલું છે અને ઉંચાઈ ૭૨ જિન જેટલી છે. સભાનું વર્ણન કરતાં ગેમાનસી સુધીનું જે પ્રમાણેનું વર્ણન પહેલા કરવામાં આવ્યું છે તેવું જ વર્ણન આ સિદ્ધાયતન માટે પણ સમજવું જોઈએ. અહી ભૂમિભાગ અને ઉલ્લેકના વિષે કથન पy व. प्रभारी १ सभा नये (तस्स णं सिद्धाययणस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थण महेगा मणिपेढिया पण्णत्तो) सिद्धीयतना मध्यदेशलाम मे वि भानुपा४ि ४वाय छ. (सेलसजायणाई.. आयामविकाव भेणं अट्ट जायणाई बाहल्लेण सेना मायाम मन वि १६ योजना मने ५ ।
SR No.009342
Book TitleRajprashniya Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages721
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_rajprashniya
File Size55 MB
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