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________________ सुबोधिनी टीका सु ७७ सुधर्म सभादिवर्णनम् ५३५ एत्थ णं महेगे खुड्डए महिंदज्झए पण्णत्ते, सट्टि जोयणाई उड्ड उच्चतेणं, जोयणं विक्खंभेणं, वइरामइ वट्टलटुसंठियसुसिलिटू जाव पडि. रूवे । उवरिं अटूट्ट मंगलंगा झया छत्ताइच्छत्ता । तस्स णंखुड्डागमहिंदज्झयस पञ्चत्थिमेणं एत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स चोप्पाले नाम पहरणकोसे पण्णत्ते, सव्ववयरामए अच्छे जाव पडिरूवे । तत्थ णं सूरियास्स देवस फलिहरयण-खग्ग-गया- धणुप्पमुहा बहवे पहरणरयणा संनिविखत्ता चिट्ठति, उज्जला निसिया सुतिक्खधारा पासाईया ४ सभाए णं सुहरूमाए उवरिंअटूटू मंगलगा झया छत्ता इच्छत्ता । सू.७८। छाया - तस्य देवशयनीयस्य उत्तरपौरस्त्ये महत्येका मणिपीठिका प्रज्ञता, अष्ट योजनानि आयामविष्कम्भेण चत्वारि योजनानि बाहल्येन सर्वमणिमयी यावत् प्रतिरूपा । तस्याः खलु मणिपीठिकाया उपरि अन्न खलु महानेकः क्षुल्लक महेन्द्रध्वजः प्रज्ञप्तः, षष्टिं योजनानि ऊर्ध्वमुच्चत्वेन, योजनं विष्क 'तस्स णं देवसयणिज्जस्स' इत्यादि । सूत्रार्थ - (तस्स णं देवसर्याणिज्जस्स उत्तरपुरत्थिमेणं) उस देवशयनीय के उत्तर - पौरस्त्य में - ईशानकोने में ( महेगा मणिपेढिया पण्णत्ता) एक विशाल मणिपीठिका कही गई है, (अट्ठजोयणाई आयामविवखंभेणं) यह अपने आयाम और विष्कंभ की अपेक्षा आठ योजन की है (चत्तारि जोयगाई बाहल्लेग) तथा वाहल्य की अपेक्षा चार योजन की है। (सव्वमणिमई जाब पडिवा) यह सर्वात्मना मणिमय हैं यावत् प्रतिरूप है (तीसे ण मणिपेडिया उचरिं एत्य णं महेंगे खुड्डए सहिंदज्झए पण्णत्ते) उस मणिपीठिका 'तस्स ण' देवस्यणिज्जस्स' इत्यादि । सूत्रार्थ - (तस्स गं देवसयणिज्जस्स उतरपुर स्थिमेण ) ते देवशय्यान उत्तर- पौरस्त्यमां-शान शुभां - (महेगा मणिपेढिया पण्णत्ता) : विशाण मशिचीडिय उडेवाय छ. ( अठ्ठजोयणाई आयामविव भेण ) में पोताना आयाम (साई) रमने विष्टुल (चहेोपाध)नी अपेक्षा आहे येोन्न नेटली छे. ( चत्तारिजोयणाई' बाहल्लेण ) तेभन खाइयनी अपेक्षा यार येोन्न भेटसी छे, (तन्नमणिमई जाव पडिवा) श्या सर्वात्मना भणिभय छे यावत् प्रति३ छे. (तीसेणं मणिपेढियाए उवरिं एत्थ णं महेगे खुडए महिंदज्झए पण्णत्ते) ते भणिय ठानी उपर से विशाण क्षुस्स
SR No.009342
Book TitleRajprashniya Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages721
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_rajprashniya
File Size55 MB
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