SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 358
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३४४ राजप्रश्नीयसु अत एव- सतलविमलनिर्मलदधिधनगोक्षीरफेनरजतनिकरप्रकाशानि, तत्र शतलं-तदेवविमलं-स्वच्छवणं प्राकृतत्वादिहविशेषणपरप्रयोगः, विमलशस तलमिति पर्यवसितम् निर्मलदधिधनः-स्वच्छगाढदधि, गोलोरफेनः-गोदुग्धफेनः, रजत रूप्यम्, एतेषां यो निकरः-समूहः तस्य प्रकाशइव प्रकाशो येषां तानि तथा, निर्मलशङ्खतलादिममूहसदृशश्वेतवर्णानि,-तथा--तिलकरत्नाद्र चन्द्रचित्राणितिलकरत्नानि-तिलकप्ठानि-श्रेष्ठतिलकानि अदचन्द्रा:-अर्धभागविभक्तचन्द्राश्वेत्युभयश्चित्राणि-नानारूपत्वादश्रुतानि, तथा-नानामणिदामालकृनानि-अनेक प्रकारकमालाशोभितानि, अन्तर्वहिश्व-अभ्यन्तर-बाह्यप्रदेशयोश्च प्रलक्ष्णानिचिकणप्युद्गलस्कन्धनिर्मितानि, , तपनीयवालुकाप्रस्तटानि-तपनीयवालुका:स्वर्णमयसिकता, ता एवं प्रस्तट:-अङ्गण येषु तानि तथा, सुखस्पर्शानिसुखदस्पर्श युक्तानि, शेष प्राग्वत् ।।५० ५४ ॥ ___ मूलम्-तेसिणं दाराणं उभओ पासे दुहओ निसीहियाए सोलसचंदणकलसपरिवाडीओ पण्णत्ताओ, तेणं चंदणकलसा वरकमलपइटाणा सुरभिवरवारिपडिपुण्णा चंदणकयचच्चगा आविद्धकंटेगुणा पउमुप्पलपिहाणा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा महया महया दकुंभसमाणा पण्णत्ता समणाउसो!। तेसिं णं दाराणं उभओ पासे दुहओ णिसीहियाए सोलस सोलस णागदंतपरिवाडीओ पण्णत्ताओ, ते ण णागदंता मुत्ताजालंतरुस्सियहेमजालगवक्ख जालखिखिणीघंटाजालपरिक्खित्ता अब्भु ग्गया अभिणिसिट्टा तिरियसुसंपरिग्गहिया अहेपन्नगद्धरूवा पन्नगद्धवाली चांदी का बना हुआ हैं. इस तरह पक्ष, पक्षवाह आदि आत्ररत्न मय होने के कारण ये द्वार अंकरत्नमय है, स्वर्णमय इनकी शिखरे हैं, स्वर्णविशेपनिर्मित इनकी छोटी २ शिवरें है 'सेय संखतल' आदि पद से लेकर 'पडिम्बा' तक के पदो का अर्थ मूलार्थ के जैसा ही है ।। सु. ५४ ॥ હેવાથી આ દરવાજાઓ કરત્નના છે, સેનાના છે, શિખરવાળા છે. તેમના નાના शिप गे विशेष गतना सुवाना मनेा छ. 'सेय संख नल' वगेरे ५४थी भासने 'पडित्वा' सुधीना पहोनी 14 भूदा प्रभारी छ. ॥ २१० ५४ ॥ .
SR No.009342
Book TitleRajprashniya Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages721
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_rajprashniya
File Size55 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy