SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 329
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१५ - TARA दवदवा विकाद ८CS INITIANE und सुगोधिनी टीका सू. ५१ देवद्धिप्रतिमहरणविषये प्रश्नोत्तरम् ? मूलम् --भते त्ति भगवं गोयसे समण भगव महावीर बदइ, नमसई, वंदित्ता नमभित्ता एक वयासी सूरियाभस्स भ ! देवस्स एसा दिव्वा देविड दिव्वा देवज्जुई दिवे देवाणुभावे कति गए, कहि अणुप्पविठे ? गोयमा सरीर गए, सरीरं अगुप्पविटे से, केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ- सरीर गएँ सरीर अणुप्पवितै ? गोयमा ! से जहानाभए कूडागारसाला सिया दुहओ लिता गुना गुत्तदुवारा णिवाया णिवायगंभीरा तीसेणं कूडागारसालाए अदूरसामते एल्थ णं महं 'एगे जेणसमूहे चिट्ठा तएणं से जणसमूई एग मह अब्भवलग वा वासर्व लग वा महा पासइ,पासित्ता तं कूडागारसालं अंतोअणुप्पविसित्ता पां.चिटूइ, से तोट्रेण गोयमा! एवं बुच्चई सरीर गएं सरीर अणुप्पक्ट्रिोमा सू०५१ ॥ छायाभदन्त ! ईति भगवान गौतमः श्रमण भगवन्तं महावीरं वन्दते नम्म्यति, वन्दित्वा नमस्थित्वा एवमत्रादीन- मर्याभस्थ खल भदन्तं ! देवस्य एषा दिल्या. देवदिः दिव्या देवधुतिः दिव्यो देवानुभावः क गतः के ,Parbi संतेत्ति भगव, गोयमे इत्यादि. 16--07:! - !* मात्रार्थ-भंतेत्ति) हे भदन्त । इस प्रकार से सम्बोधित करके भगवान गौतमनेः (समण! भगत महावीर) श्रमण भगवान महावीरको ऽवन्दनों की: नमस्कार किया-दिना नम सित्ता एवं यासी) बन्दना निमस्कार करके फिरा उन्होंने उनसे इस प्रकार पू रियामरस लभते ? देवस्स एसी दिवानन्देचिठ्ठी, दिवा देवजुई, दिब्वे देवाणुभाने कहि गए बोया मामला ATM Inc यम। हत्यादि। Slee या मताचा હે ! આ પ્રમાણે છે s airesistart 1 (समा भगवं महावीर SHE MATI SHRA J AISH . दित्ता नमसिला एवं बयासी) म मा नभए तेयाश्रीन निi; भाये (मरियाभस्साण, संतो देवस्स, एमा दिया देधिदिवा देवज्जुई, द्विश्वे देवाणुभाव कहि गर कहि, अणुष्पविटे) N FREE : JAIN POTENTIATI
SR No.009342
Book TitleRajprashniya Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages721
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_rajprashniya
File Size55 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy