SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 698
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - ६७ प्रमेयबोधिनी टीका पद २१ ० ४ चैक्रियशरीरभेदनिकपणम् संभवात्. गौतमः पृच्छति-'जइ देवपचिंदिय वेउब्धियसरीरे किं भवणवासिदेवपंचिदिय वेउब्वियसरीरे जाव वेमाणिदेवपंचिंदियवेउव्यियसरीरे ?' है भदन्त ! यदि देवपश्चेन्द्रिय वैक्रियशरीरं भवति तत् किं भवनवासिदेवपञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरं भवति ? यावत्-किं वानव्यन्तरदेवपञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरं भवति ? किंवा ज्योतिष्कदेवपञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरं भवति ? किंवा वैमानिकदेवपञ्चन्द्रिय क्रियशरीरं भवति ? भगवानाह-'गोयला !' हे गौतम ! 'भवणवासिदेपंचिंदियवेउब्धियसरीरे विजाव वेमाणिदेवपंचिंदियवेउब्धियसरीरे वि' भवनवासिदेवपञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरमपि भवति, यावद-वानव्यन्तरदेवपञ्चेन्द्रियवै क्रियशरीरमपि, ज्योतिष्कदेवपञ्चेन्द्रियवैक्रियशरीरमपि, वैमानिकदेनपश्चेन्द्रियवैक्रियशीरमपि भवति, गौतमः पृच्छति'जड भवणवासिदेवपंचिदियवेउब्वियसरीरे हिं असुरकुमार भरणवासिदेवपंचिंदियवेउध्वियसरीरे जाव थणियकुमारभवणवातिदेवबिदियवे उबियसरे?' हे भदन्त ! यदि भवनवासिदेवपञ्चेन्द्रियवै क्रियशरीरं भवति तत् किम् असुरकुमारभवनवासिदेवपञ्चेन्द्रियवैक्रियक्यों कि भव के स्वभाव के कारण उनमें वैक्रिय लब्धि का संभव नहीं है। गौतमत्वामी-हे भगवन् ! यदि देव पंचेन्द्रियों का वैक्रिय शरीर होता है तो क्या भवनवासी देव पंचेन्द्रियों का वैक्रिय शरीर होता है, यावत्-क्या वानव्यन्तर देव पंचेन्द्रियों का वैक्रिय शरीर होता है ? क्या ज्योतिष्क देव पंचेन्द्रियों का वैक्रिय शरीर होता है ? अथवा क्या वैमानिक देव पंचेन्द्रियों का वैमानिक शरीर होता है ? __ भगवान् गौतम ! भवनवासी देव पंचेन्द्रियों का भी वैक्रिय शरीर होता है यावत् वानव्यन्तर देव पंचेन्द्रियों का भी वैक्रियशरीर होता है, ज्योतिष्क देव पचेन्द्रियों का भी वैक्रियशरीर होता है और वैमानिक देव पंचेन्द्रियों का भी वैक्रियशरीर होता है। . गौतमस्वाली-हे भगवन ! यदि अवनवासी देव पंचेन्द्रियों का क्रियशरीर होता है तो क्या असुरकुमार भवनवली देव पंचेन्द्रियों का वैक्रियशरीर होता એમાં વેકિય લબ્ધિ સંભવિત નથી. * શ્રી ગૌતમસ્વામી–હે ભગવન! યદિ દેવ પંચેન્દ્રિયના વક્રિયશરીર હોય છે તે શું ભવનવાસી દેવ પંચેન્દ્રિયના કિયશરીર હોય છે. યાવતું શું વનવ્યન્તર દેવ પંચેન્દ્રિના વિઝિયશરીર હોય છે? જતિષ્ક દેવ પંચેન્દ્રિના ક્રિયશરીર હોય છે? અથવા શું વૈમાનિક દેવ પંચેન્દ્રિના કિયશરીર હોય છે? શ્રી ભગવાન–હે ગૌતમ! ભવનવાસી દેવ પચેન્દ્રિના પશુ વેકિયશરીર હોય છે યાવ-વનવ્યન્તર દેવ પંચેન્દ્રિના પણ વૈશિરીર હોય છે, જ્યોતિષ્ક દેવ પંચેન્દ્રિયના પણ વેકિયશરીર હોય છે અને વૈમાનિક દેવ પંચેન્દ્રિયના પણ વૈકિયશરીર હોય છે શ્રી ગૌતમસ્વામી-હે ભગવાન! યદિ ભવનવાસી દેવ પંચેન્દ્રિયના વેકિયશરીર હોય છે તો શું અસુરકુમાર દેવ પંચેન્દ્રિયના વક્રિયશરીર હોય છે, યાવત્ નાગકુમાર ભવનવાસી
SR No.009341
Book TitlePragnapanasutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size62 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy