SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 139
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ‍ प्रज्ञापनाच चिकाः, तेजोलेश्याः संख्येयगुणाः, एवम् एतेषां खलु भदन्त ! देवानां देवीनाञ्च कृष्णश्यानां यावत् शुक्ललेश्यानां कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा वहुक्का वा तुल्या वा विशेषाधिका वा १ गौतम ! सर्वस्वोका देवाः शुक्ललेश्याः, पद्मलेश्या असंख्येयगुणाः, कांपोत छेश्या असंख्येयगुणाः, नीललेश्या विशेषाधिकाः, कृष्णलेश्या विशेषाधिकाः, कापोतलेश्या देव्यः संख्येयगुणाः, नीललेश्या विशेषाधिकाः, कृष्णलेश्या विशेषाधिकाः, तेजोलेश्या देवा! सब से कम देवियां कापोत लेश्या वाली हैं (नीललेस्लाओ विसेसाहियाओ) नीललेश्या चाली विशेषाधिक हैं (कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ) कृष्णलेश्या वाली विशेषाधिक हैं ( तेलेस्साओ संखेजगुणाओ) तेजोलेश्यावाली संख्यातगुणा हैं ( एवं ) इस प्रकार (एएसि णं भंते । देवाणं देवीण य कण्हलेस्साणं य जाव सुक्क लेस्साण य) हे भगवन् ! इन कृष्णलेश्या वाले यावत् शुक्ललेश्या वाले देवों में और देवियों में (करे कमरेहितो) कौन किससे (अप्पा वा, बहुधा वा तुल्ला वा विसेसाहियावा ?) अल्प, बहुत, तुल्य, या विशेषाधिक हैं ? (गोयमा ! सव्वत्थोवा देवा सुक्कलेस्सा) हे गौतम! सब से कम देव शुक्ललेश्या वाले हैं (पम्ह लेस्सा असंखेज्जगुणा) पद्मश्या वाले असंख्यातगुणा हैं (काउलेस्सा असंखेज्जगुणा) कापोतलेश्या वाले असंख्यातगुणा है (नीललेस्सा विसेसाहिया) नीललेश्या वाले विशेषाधिक हैं ( कण्हलेस्ता विसेसाहिया ) कृष्णलेश्या वाले विशेषाधिक हैं (hireसाओ देवीओ संखेजगुणाओ) कापोत लेश्या वाली देवियां संख्यातगुणा हैं (नीललेस्साओ विसेसाहियाओ) नीललेश्या वाली विशेषाधिक हैं ( कण्ह 'लेस्साओ विसेसाहियाओ) कृण्णलेश्या वाली विशेषाधिक हैं (तेउलेस्सा देवा " (गोयमा ! सव्वत्थोवा देवीओ काउलेस्साओ) हे गौतम । मधाथी सोछी देवियो भयोतसेश्यावाणी छे (नीललेस्साओ विसेसाहियाओ) नीश्यावाणी विशेषाधिः छे (कण्ह लेस्साओ विसेसाहियाओ) कृष्णुलेश्यावाणी विशेषाधिष्ठ छे (तेउलेस्साओ संखेज्जगुणाओ) तेलेवेश्यावाणी सभ्याताणी छे ( एवं ) मे राते. (एएसि णं भंते ! देवाणं देवीण य कण्हलेस्साणं यं जाव सुक्कलेस्साण य) डे लगवन् ! श्या वैष्णुसेश्यावाणा यावत् शुभ्ससेश्यावाणा देवामां ने हेवियामां (कयरे कयरे हिंतो) अशु अनाथी (अप्पा वा, बहुया वा, तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?) महप, घणा तुझ्य वा विशेषाधि४ है ? (गोयमा ! सव्त्रत्थोवा देवा सुक्कलेस्सा) हे गौतम! मधाथी श्रद्धा शु४सेश्यांत्राणा देव छे(पम्हलेस्सा असंखेज्जगुणा) पद्मद्वेश्यावाणा असण्यातगा छे (काउलेस्सा असंखेज्जगुणा) भायातलेश्यावाणा असण्यातगा छे (नीललेस्सा विसेसाहिया) नीलेश्यावाणा विशेषाधि छे (कण्हलेत्सा विसेसाहिया) सेश्यात्रामा विशेषाधिः छे (काउलेस्साओ देवीओ संखेज्ज - गुणाओ) अघातसेश्यावाणी हेवीओ सभ्यागणी छे (नीललेस्साओ विसेसाहियाओ) नीलवेश्यावाणी विशेषाधिठ छे (कण्हलेस्साओ विसेसाहियाओ) इट् लेश्यावाणी विशेषाधिक
SR No.009341
Book TitlePragnapanasutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1978
Total Pages841
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size62 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy