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________________ terres 3 किभवोपपातगतिः, एवं सिद्धवभेदो भणितव्यः, यश्चैव क्षेत्रोपपातगतौ सचैव सा पपा देवभवोपपातगतिः, सा एपा भवोपपातगतिः, तत् का सा नो भवोपपातगतिः ? नो भवोपपातगतिः द्विविधा प्रज्ञता, तद्यथा- पुहलनोभवोपपानगतिः, सिद्धनोभवोपपातगतिः, तत् का सानोभवोपपातगतिः ? पुद्गलनोभवोपपातगतिः यत् खलु परमाणुपुद्गलो लोकस्य पौरस्त्यात् चरमान्तात् पश्चिमं चरमान्तम् एकस१येन गच्छति, पश्चिमावा चरमान्तात् पौरस्त्यं चरमान्तम् एकसमयेन गच्छति, दक्षिणाद्वा चरमान्ताद् उत्तरं चरमान्तम् एकसमयेन गच्छति, ९०८ भवोपपातगति सात प्रकार की कही है (तं जहा) वह इस प्रकार ( एवं ) इस प्रकार (सिवज्जो) सिद्धको वर्ज कर (भेदो) भेद (भाणितव्वो) कहना चाहिए (जो चेव खेत्तोववायगतीए) जो क्षेत्रोपपातगति में ( सो चेव) वही (से तं देवभवोववायगती) यह देवभवोपपातगति हुई ( से तं भवोववायगती) यह भवोपपातगति का निरूपण हुआ । (से किं तं नो भवोववायगती ?) नो भवोपपातगति क्या है ? (नो भवोव. 'वायगती दुविहा पण्णत्ता) नोभवोपपातगति दो प्रकार की कही है (तं जहा) वह इस प्रकार (पोग्गलणो भवोववायगती) पुद्गलनोभवोपपातगति (सिद्ध नो भोवागती) सिद्धनोभवोपपातगति (से किं तं पोग्गलनोभवोववायगती ?) पुद्गलनोभवोपपातगति क्या है ? (पोग्गलनोभवोववायगती) पुद्गलनोभवोपपातगति (जं णं परमाणुयोग्गले) जो कि परमाणु पुद्गल (लोगस्स पुरथिमिल्लाओ चरमंताओ) लोक के पूर्ववर्त्ती चरमान्त से अर्थात् छेद से ( पच्चत्थिमिल्लं चरमंतं) पश्चिमी चरमान्त तक ( एसमएणं) एक समय में (गच्छति ) जाता है ( पच्चत्थिमिल्लाओ वा चरमंताओ) अथवा चवायगती सत्तविहा पण्णत्ता) नार लवोपपातयति सात अहारनी छे (तं जहा ते भा · अक्षरे ( एवं ) मे अहारे (सिद्धवज्झो) सिद्धने त्यने (भेदो) लेह (भाणियन्त्रो) वा ध्ये (जो चेत्र खेत्तोत्रवायगतीए) ने क्षेत्रोपयातगतिमां (सो चेव) ते (सेतं देव भवोवायगती) माहेव लवोपपातगति थ (सेतं भवोववायगती) या लवोपपातगतिनुं निइपशु 'थयुं (से किं तं नो भवोवायगती) तो लवोपयातगति शु छे ? (नो भवोचत्रायगती दुविहा पण्णत्ता) ने लवोपपातगति में अहारनी उही छे (तं जहा ) ते मा अडारे (पोग्गलंणो ''भवोववायगती) मुद्दगस नो लापयातगति (सिद्ध नो भवोववायगती) सिद्ध नो लवोपयात गति (से किं तं पोग्गल नो भवोवायगती १) युगस नो लवोपयातगति शुं छे ? (पोग्गल नोभवोत्रत्रायगती) युद्दगसनीलवोपयात्गति (जं णं परमाणुपोग्गले) ले ४ परमाशु चुहूगल (लोगस्स पुरथिमिल्लाओ चरमंताओ) सोना पूर्ववर्ती यरभान्तथी : (पंच्चत्थिमिल्लं चरमंत) पश्चिमी अरमांत सुधी ( एगसमएणं) ४ समयभां (गच्छति ) लय छे (पच्चत्यिमिल्लाओ
SR No.009340
Book TitlePragnapanasutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages881
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size64 MB
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