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________________ ८३४ प्रज्ञापनासत्रे कार्मणशरीर कायप्रयोगीच ३, अथवा एके औदारिकमिश्रशरीर काप्रयोगिणश्च, कार्मणशरीर काय. प्रयोगिणश्व 8, एते चत्वारो भङ्गाः, अथवा एक चाहारकशरीर का यप्रयोगी च, आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी च १, अथवा एक चाहारकशरीरकायप्रयोगी च, आहारकमिश्रशरीरका यप्रयोगिण २, अथवा एके चाहारकशरीरकायप्रयोगिगथ, आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी च ३, अथवा एके चाहारकशरीरकायप्रयोगिणच, आहारक मिश्रशरीरकायप्रयोगिणश्च ४, चत्वारो एक औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और अनेक कार्मणशरीर कायप्रयोगी (अहवेगे ओरालियमीसासरीरकायप्प ओगिणो य कम्मासरीरकायप्पअगी य) अथवा कोई अनेक औदारिकमिश्रशरीरकायप्रयोगी और एक कार्मणशरीरकायप्रयोग ( अहवेगे ओरालियमी सासरीरकायप्पओगिणो य, कम्मासरीरकायप्पओगिणो घ) अथवा अनेक औदारिकमिश्र कायप्रयोगी और अनेक कार्मणशरीरकाप्रयोगी (एए चत्तारि भंगा) ये चार भंग होते हैं । ( अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमीसासरीरकायप्पओगीय) अथवा कोई एक आहारकशरीरकायप्रयोगी, एक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी ( अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारगमी सासरीरकायओगिणो य) अथवा एक कोई आहारकशरीरकायप्रयोगी और अनेक आहारकमिश्रशरीरका प्रयोगी ( अहवेगे आहारग सरीरकायप्पओगिणो य, आहारगमीसासरीरकाओगीय) अथवा अनेक आहारकशरीरकायप्रयोगी और अनेक आहारक मिश्र शरीर कायप्रयोगी ( अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य आहारकमोसासरीर कार्यप्पओगिणो य) अथवा कोई अनेक आहारकशरीरकायप्रयोगी और अनेक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी ( चत्तारि भंगा) ये चार भंग होते हैं । सोहारि मिश्र शरीराय प्रयोगी भने भने अभी शरीराय प्रयोगी ( अहवेगे य ओरालियमीसा सरीरकाचप्पओगिणो च कम्मासरीरकायापओगी य) अथवा भने सोहारि मिश्र शरीराय प्रयोगी भने उ अशु शरीरायप्रयोगी (अवेगे ओरालियमीसा सरीरकापओगाय कम्मासरीरकायप्पओगिणो य) अथवा भने सोहारि मिश्र शरीराय प्रयोगी ने ने धर्म शरीराय प्रयोगी (एए चत्तारि भंगा) मा यार अंग थाय छे ( अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगी य आहारग मीसासरीरकायप्पओगी य) अथवा आई ! २९ शरीराय प्रयोगी, अने ये आहार मिश्र शरीराय प्रयोगी ( अहवेगे च आहारगसरीर कायप्पओगीय आहारंगमीसासरीर कायप्पओगिणो य) अथवा मे ईडी २४ शरीराय प्रयोगी भने भने भाडार मिश्र शरीराय प्रयोगी ( अहवेगे य आहारगसरीरफायप्पओगणो च, आहारगमीसासरीरकाचप्पओगी य) अथवा भने आहारशरीर हायप्रयोगी ने ये आहार मिश्र शरीराय प्रयोगी ( अहवेगे य आहारगसरीरकायप्प ओगिणो य, आहारगमीसासरीर कायप्प ओगिणो य) अथवा मने २४ शरीरायप्रयोगी 1
SR No.009340
Book TitlePragnapanasutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages881
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size64 MB
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