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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद १६ सू० ३ जीवप्रयोगनिरूपणम् आहारगसरीरकायप्पओगिणो य, कम्मासरीरकायप्पओगिणो य ४, चउरो भंगा, अहवेंगे य आहारगमीसासरीरकायप्पओगी य, कम्मगसरीरकायप्पओगी य १, अहवेगे य आहारगमीसासरीरकाय पओगी य, -कम्मासरीरकायप्पओगिणो य २, अहवेगे य आहारगनीसासरीरकाय. प्पओगिणो य, कस्मासरीरकायप्पओगी य ३, अहवेगे य आहारगमी. सासरीरकायप्पओगिणो य, कम्मगसरीरकायप्पओगिणों य ४, चउरो भंगा, एवं चउठनीसं भंगा” ॥सू० ३॥ ___ छाया-जीवाः खलु भदन्त ! किं सत्यमनःपयोगिणो यावत् किं कार्मणशरीरकायप्रयोगिणः ? जीवाः सर्वेऽपि तावद् भवेयुः सत्यमनःप्रयोगिणोऽपि, यावद् वैक्रियमिश्र शरीरकायप्रयोगिणोऽपि, कार्मणशरीरकायप्रयोगिणोऽपि १३, अथवा एकच आहारकशरीरकायप्रयोगी च १, अथवा एके च आहार कशरीरकायप्रयोगिणश्च २, अथवा एकश्च आहारक जीवप्रयोगवक्तव्यता शब्दार्थ-(जीवा गं भंते ! कि सच्चमणप्पओगी जाव किं कम्मसरीरकायप्पओगी ?) हे भगवन् ! जीव क्या सत्यमनःप्रयोगी हैं यावत् क्या कार्मणशरीरकायप्रयोगो हैं ? (जीवा सम्वेवि ताव) जीव सभी (होज्ज सच्चमणप्पओगो वि जाव वेउब्धियमीससरीरकायप्पओगी वि, कम्मसरीरकायप्पओगी, वि) सत्यमनःप्रयोगी भी, यावतू वैक्रियमिश्रशरीरकायप्रयोगी भी, कार्मणशरीरका. यप्रयोगी भी हैं (अहवेगे य) अथवा कोई (आहारगसरीरकायप्पओगी य) एक आहारकशरीरकायप्रयोगी (अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगिणो य) अथवा कोई बहुत आहारकशरीरकाप्रयोगी (अहवेगे य आहारगमीससरीरकायप्पओगी) . अथवा कोई एक आहारकमिश्रशरीरकायप्रयोगी (अहवेगे य आहारगमीससरी. જીવ પ્રોગ વક્તવ્યતા शहाथ-(जीवा ण भते । किं सच्चमणप्पओगी कि कम्मसरीरकायप्पओगी ?) . वन् । शु सत्यभान प्रयोग छ यावत् शुभ शरी२४१५ प्रयाग छ ? (जीवा संवे वि ताव) या o (होज्ज सच्चमणप्पओगी वि जाव वेउव्वियमीससरीरकायप्पओगी वि कम्मसरीरकाया आगी वि) सत्यमन:शी यावत् यिभिशश२४१यप्रयोगा५५], समय शरी२५५ प्री ५ छे (अहवेगे य) अथ4 ts (आहारग सरीरकायप्पओगी य) मे माला२४ शरी२४य प्रयास (अहवेगे य आहारगसरीरकायप्पओगीणो य) अथवा | मा २४ २५४१५ प्रयोगा (अहवेगे य आहारगमीससरीरकायप्पओगी) 424 / मे मा २४ मिश्रशरी२१यप्रयोगा (अहवेगे य अहारगमीससरीरकायप्पओगीणो य) मंथ।
SR No.009340
Book TitlePragnapanasutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages881
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size64 MB
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