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________________ प्रमैयबोधिनी टीका पद १३ सू० २ गतिपरिणामादिनिरूपणम् ५५ कृष्णलेश्णपरिणामः, नीललेन्यापरिणामः, कपोतलेश्यापरिणामः, तेजोलेश्यापरिणामः, पद्मलेश्यापरिणामः, शुक्ललेश्यापरिणामः ४, योगपरिणामः खल भदन्त ! कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम ! त्रिविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-मनोयोगपरिणामः, वचोयोगपरिणामः, काययोगपरिणामः ५, उपयोगपरिणामः खलु भदन्त ! कतिविधः प्रज्ञप्तः ? गौतम! द्विविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-साकारोपयोगपरिणामः, अनाकारोपयोगपरिणामः ६, ज्ञानपरिणामः खलु भदन्त ! कहा है (तं जहा) वह इस प्रकार (कण्हलेस्सा परिणामे) कृष्णलेश्या परिणाम (नीललेस्सा परिणासे) नीललेश्या परिणाम (काउलेस्सा परिणामे) कापोतलेश्या परिणाम (तेउलेस्ला परिणामे) तेजोलेश्या परिणाम (पम्हलेस्सा परिणामे) पद्मलेश्या परिणाम (लुक्कलेस्सा परिणामे) शुक्ललेश्या परिणाम ___ (जोगपरिणामे ण ते ! काविहे पणन्त ?) हे भगवन् ! योग परिणाम कितने प्रकार का कहा है ? (गोयमा ! त्तिविहे पण्णत्ते) हे गौतम ! तीन प्रकार का कहा है (तं जहा-सणजोगपरिणामे, वजोग परिणामे, कायजोग परिणामे) वह इस प्रकार-मनोयोग परिणाल, वचनयोग परिणाम, काययोगपरिणाम । (उचओगपरिणामे णं भंते! कइविहे पण्णत्ते ?) हे भगवन् ! उपयोग परिणाम कितने प्रकार का कहा ? (गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते) हे गौतम! दो प्रकार का कहा है (तं जहा) वह इस प्रकार (सागारोवओगपरिणामे, अणागारोवोगपरिणामे) साकारोपयोग परिणाम और अनाकारोपयोग परिणाम (णाणपरिणाले णं संते ! कइविहे पण्णत्त ?) हे भगवन् ! ज्ञान परिणाम - (लेसापरिणामेणं अते । कइविहे पण्णत्ते ?) सावन् वेश्या परिणाममा प्रहारना ह्या छ ? (गोयमा ! छबिहे पण्णत्ते) गौतम ! ७ प्रा२ना ४३ छ (तं जहा) ते या प्रशारे (कण्हलेस्सा परिणामे) वेश्या परिणाम (नीललेस्सा परिणामे) नास वेश्या ५२शान (काउलेस्सा परिणामे) पातश्या परिणाम (तेउलेस्सा परिणामे) तेश्या५रिणाम (पम्हलेसा परिणामे) पदम श्या परिणाम (सुकलेस्सापरिणामे) शुसवेश्या५रिणाम. (जोगपरिणामेण मंते | कइविहे पण्णत्त ?) 8 लगवन् या परिणाम सारना ४हेर छ ? (गोयमा तिविहे पण्णत्ते) 3 गीतमात्र प्रा२ना ४ा छ (तं जहा मणजोगपरिणामे, वइजोगपरिणामे, कायजोगपरिणामे) ते म हारे-मनाया परिणाम, વચનગ પરિણામ, કાય ગપરિણામ . (उवओगपरिणामेणं भंते । कइविहे पण्णत्ते ?) भगवन् ! ७५योग परिणाम सा ४२ना ४ह्या छ ? (गोयमा । दुविहे पण्णत्ते) 3 गौतम ! मे प्र४२॥ ४i छे (तं जहा) ते मी ॥(सागारोवओगपरिणामे, अणागारोवओगपरिणामे) सा४।५या परिणाम અને અનાકારો પગ પરિણામ (णाणपरिणामेगं भंते । कईविहे पगत्ते ( ? सावन् शानपरिमसा प्रहार
SR No.009340
Book TitlePragnapanasutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages881
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size64 MB
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