SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 253
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रमेयवोधिनी टीका पद ११ सू. २ भाषापदनिरूपणम् ૨૪૬ या च नपुंसकवाक्, प्रज्ञापनी खलु एपा भाषा, न एषा भाषा मृषा, अथ भदन्त ! या च स्त्र्याज्ञापनी या च पुमाज्ञापनी, या च नपुंसकाज्ञापनी प्रज्ञापनी खलु एपा भाषा, न एषा भाषा मृषा ? हन्त, गौतम ! या च स्याज्ञापनी, या च पुमाज्ञापनी, या च नपुंसकाज्ञापनी प्रज्ञापनी खलु एषा भाषा न एषा भापा मृपा, अथ भदन्त ! या च स्त्रीप्रज्ञापनी, या च पुंप्रज्ञापनी, या च नपुंसकप्रज्ञाएनी, प्रज्ञापनी खलु एपा भाषा, न एपा मापा मृपा ? हन्त, गौतम ! या च स्त्रीप्रज्ञापनी, या च पुंप्रज्ञापनी, या च नपुंसकप्रज्ञापनी, प्रज्ञापनी खलु एषा सापा, न एपा भाषा मृषा, अथ भदन्त ! या जातिरिति स्त्रीवाक्, जातिरिति पुंवाक्, जातिरिति नपुंसकवाक्, प्रज्ञापनी खलु एपा मापा, न एपा भाषा मृपा ? हन्त, गौतम ! मोसा) यह भाषा वृषा नहीं है ? (हंता गोयमा !) हां गौतम ! (जाय इत्थि आण. वणी, जा य पुमआणवणो, जाय नपुंसग-आणवणी पण्णवणी णं एसा भासा) जो स्त्री-आज्ञापनी, जो पुरुष-आज्ञापनी, जो नपुंसक-आज्ञापनी है, वह भाषा प्रज्ञापनी है (न एसा भासा मोसा) यह भाषा मृषा नहीं है। (अह भंते !जा य इत्थि पण्णवणी, जाय पुमपण्णवणी, जाय नपुंसग पण्णवणी पण्णवणी णं एसा भासा, ण एसा भासा मोसा ?) भगवन् ! जो स्त्री प्रज्ञापनी है, जो पुरुष प्रज्ञापनी है, जो नपुंसकप्रज्ञापनी है, यह भापा प्रज्ञापनी है? यह भाषा मृषा नहीं है ? हंत गोयमा !) हाँ गौतम! जा य इत्थिपण्णवणी, जाय पुमपण्णवणी, जाय नपुंसगपण्णवणी, पण्णवणी णं एसा भासा) जो स्त्री प्रज्ञापनी है, पुरुप प्रज्ञापनी है, नपुसकप्रज्ञापनी है, यह भाषा प्रज्ञापनी है (ण एसा भासा मोसा) यह भाषा मृषा नहीं है। (अह भंते !) अब भगवन् ! (जा जायीति इत्थीवऊ, जाती पुनवऊ जातीति ‘णपुंसगवऊ, पण्णवणी णं एसा भासा) जो जाति में स्त्रीवचन है, जाति में प्राण (गोयमा ।) है। गौतम । (जा य इत्थि आणमणी, जा य पुम आणवणी, जा य नपु सग आग वणी पण्णवणीणं एसा भासा) खी माज्ञापना, ५३५ माज्ञापनी, २ नस४ माज्ञा पनी छ, ते भाषा प्रज्ञापनी छ (ण एसा भासा मोसा) मा लषा भृषा नथी. (अह भंते ! जा य इत्थी पण्णवणी, जा य पुम पण्णवणी, जा य नपुंसग पण्णवणी, पण्णवणीणं एसा भासा ण एसा भासा मोसा) भगवन्न खी प्रज्ञापनी छे,२५३५ प्रज्ञापनी २ नस४ अज्ञापनी छ ? मा भाषा मृषा नया ? (हंता गोयमा !) । गौतम । (जा य इत्थी-पण्णवणी, जा य पुम पण्णवणी, जा य नपु सग पण्णवणी, पण्णवणीणं एसा भासा) સ્ત્રી પ્રજ્ઞાપની છે પુરૂષ પ્રજ્ઞાપની છે, નપુંસક પ્રજ્ઞાપની છે એ ભાષા પ્રજ્ઞાપની છે (T - एसा भासा मोसा) मा साषा भूषा नथी. (अह भंते ।) वे भगवन् ! (जा जायीति इत्थी वऊ, जातीइ, पुम वऊ जातीति, णपुंसगवऊ, पण्णवणी णं एसा भासा) २ लातमा सी पयन छ, तिमi y३५पयन
SR No.009340
Book TitlePragnapanasutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages881
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size64 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy