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________________ प्रज्ञापनास्त्रे ४ नो अचरमाणि ५ नो अबक्तव्यानि ६ स्यात् चरमश्च अचरमश्च ७ स्यात् चरमश्च अचरमों च ८ स्यात् चरमौ च अचरमश्च ९ स्यात् चरमौ च अचरमौ च १० स्यात् चरमश्च अवक्तव्यश्च ११ स्यात् चरमच अवक्तव्यौ च १२ स्यात् चरमौ च अवक्तव्यश्च १३ स्यात् चरमो च अवक्तव्यौ च १४ नो अचरमश्च अवक्तव्यश्च १५ नो अचरमश्च अवक्तव्यानि च १६ नो अचरमाणि च अवक्तव्यश्च १७ नो अचरमाणि च अवक्तव्यानि च १८ स्यात् चरमश्च अचरमश्च अवक्तव्यश्च १९ नो चरमश्च अचरमश्च अवक्तव्यानि च २० नो चरमश्च अचरमाणि च अचरमाणि नहीं, (५) (नो अवत्तव्च्याई) अदक्तव्यानि नहीं, (६) (सिय चरमे य अचरो य) कथंचित् चरम और अचरम है, (७) (लिय चरसे य अचरमाई च) कथंचित् चरम और अचरमाणि है, (८) (सिय चरमाइं च अचरसे य) कथंचित् घरमाणि और अचरम है, (९) (सिय चरमाई च अचरमाई च) कथंचितू चरमाणि और अचरमाणि है, (१०) (सिय चरमे य अवत्तव्यए य) कथंचित् चरम और अवक्तव्य है (११) (सिय चरमेय अवत्तवयाइंच) कथंचित् चरम और अवक्तव्यानि है, (१२) (सिय चरमाइं च अवत्तदए य) कथंचित् चरमाणि और अवक्तव्य है, (१३) (सिय चरभाई च अवत्तव्चयाई च) कथंचित् चरमाणि और अबक्तव्यानि है। (१४) (नो अचरमेय अवत्तव्यएय) अचरम और अवक्तव्य नहीं, (१५) (नो अचरमेय अवत्तव्वयाई च) अचरम और अवक्तव्यानि नहीं, (१८) (नो अचरलाई च अक्त्तव्चए य) अचरमाणि और अवक्तव्य नहीं. (१७) (नो अचरमाइंच अवत्तव्वयाई च) अचरमाणि और अबक्त्तव्यानि नहीं, (१८) (सिय करमेय अचरमेय अवत्तव्धए य) कथंचित, चरस, अचरज और अवक्तव्य नहीं (१९) (नो चरलेय अचरलेय अवतव्वयाई च) चरम, अचरम माइ) २२भाल नही . ४ (नो अचरमाइ) मयरमाण नही. ५ (नो अवत्तव्वयाइ) 14छतव्यानि नही ६ (नो सिय चरमेय अचरमेय) ४३थित् ३२म सने अयम छ, ७ (सिय चरमेय अचरमाई च) ४थयित् यरम मने भयरमाणुि छ, ८ (सिय चरमाइं च अचमेय) ४थ यित् य२भाYि मने गयरम छ, ८ (सिय चरमाइं च अचरमाइं च) ४५थित् २२मालिए मने मयरमा छ, १० (सिय चरमेय अवत्तव्बए य) ४थ यित् यरम भने २०१४तव्य छ, ११ (सिय चरमे य अवत्तव्बयाई च) ४थायित् य२म मने म४dव्यानि छ, १२ (मिय चरमाइं च अवत्तव्बए य) ४थ यित् २२माणि मन अवतव्य छ, १३ (सिय घरमाइं च अवत्तव्यएयोई च) ४थ थित् यरमाणि मने मतव्यानि छ, १४ (नो अचरमे य अवत्तब्बए य) मयरम मने मवतव्यानि नथी, १५ (नो अचरमेय च अवत्तव्बए च) मय२ अने. २मवतव्यानि नथी, १६ (नो अचरमाइं च अवत्तव्वए य) भयरमा भने मतव्य नथी, १७ (नो अचरमाइं च अवत्तव्वयाई च) अन्यभार मनेअपतव्यानि नथी, १८ (सिय चरमेय अचरमेय अंवत्तव्वए य) ४ स्थित यम,
SR No.009340
Book TitlePragnapanasutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages881
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size64 MB
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