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________________ प्रमेयबोधिनी टीका पद १० सू० ५ द्विप्रदेशादिस्कन्धस्य चरमाचरमत्वनिरूपणम् १२१ य अवत्तव्यए य २१, नो चम्मे य अचरमाइं य अवत्तश्याइं य २२, सिय चरमाइं य अचरमे य अवत्तयए य २३, लिय चरमाइं य अचरमे य अवत्तव्ययाइं य २४ । सिय चरमाइं य अचरमाइं य अवत्तव्वए य २५, नो चरलाइं य अचरसाई य अवतव्वयाइं य २६, ! छप्पएसिए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! छप्पएसिएणं बंधे सिय चरमे १ नो अचरमे २, सिय अवत्तठनए ३ नो चरलाई ४, लो अचरमाइं ५ नो अवत्त वयाइं ६ लिय चरले व अचरमे व ७ सिय चरसे य अचरमाइं य ८ लिय चरसाइंय अचरम य. ९ लिय चामाइं च अचरमाइं य १० सिय चरमे य अक्त्तव्यए य ६१ सिय चरखे व अक्त्तव्वयाई य १२ सिय चरमाइं य अवतम्बए य १३ लिय चरमाइं य अवन्तव्ययाई य १४ नो अचरसे य अवत्तव्यए य १५, नो अचरले य अवसव्वयाइं य १६, नो अचरमाइं य अवत्तठाए य १७ नो अचरमाइं य अवत्तव्वयाइं य १८ सिय चरमे य अचरसे र अक्त्तव्वए य १९ नो चरमे य अचरमे य अन्तव्ययाई य २० नो चरमे य अचरमाइं य अवत्तव्वए य २१ नो चरमे व अचरमाइं य अत्तभयाइं य २२ लिय चरमाइं य अचरमे य अवत्तव्यए य २३ सिय घरमाइंच अचरमे य अवन्तव्वयाइं य २४ लिय चरमाइं य अचरमाइं य अवसठनए य २५ सिय चरमाई य अचरमाइं ये अवत्तव्यगई थ २६, लत्तपएलिएणं भंते खंधे पुच्छा, गोयमा ! सत्तपएलिए णं बंधे लिय चरिले १ णो अचरिमे २ सिय अवत्तव्यए ३ णो चरिमाइं ४ णो अचरिमाइं ५, णो अवत्तव्वयाइं ६ सिय चरमे य अचरले य ७लिय चरसे य अचरमाइं य ८ सिय चरमाइं य अचरमे य ९ सिय चरमाइं य अचरमाइं य १० सिय चरमे य अवत्तव्यए य ११ सिय चरमेय अवत्तव्ययाई य १२, सिय चरमाइं य अवत्तव्यए य १३ सिय घरमाइं च अवत्तत्रयाई य १४, णो अचरमे य अवत्तव्वए य १५, णो अचरमे च अवत्तवयाइं य १६ णो अचरमाइं य प्र० १६
SR No.009340
Book TitlePragnapanasutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1977
Total Pages881
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size64 MB
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