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________________ १०४ जीवाभिगमसूत्रे णचंगेयोऽपि वक्तव्या ज्ञातव्याश्च, 'सिद्धत्थ चंगेरीओ' सिद्धहस्त चङ्गेयः 'लोमहत्थ चंगेरीओ' लोमहस्त चङ्गेयः-मयूरपिच्छहस्त चंगेयः, चंगेरीनाम पात्रविशेषः अपि वक्तव्या ज्ञातव्याश्च, कथंभूता इमा चङ्गेय स्तत्राह-'सबरयणा' इत्यादि, 'सव्वरयणामईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओं' सर्वरत्नमय्योऽच्छाः यावत् श्लक्ष्णा घृष्टा मृष्टा नीरजस्का निर्मला निष्पङ्का निप्कंकटच्छाया अभिरूपाः प्रतिरूपा इति । 'तेसिणं तोरणाणं पुरओ' तेषां खलु तोरणानां पुरत:-अग्रभागे 'दो दो पुप्फपडलाई' द्वे द्वे पुप्पपटले 'जाच लोमहत्थपडलाई' यावत-हयपटलानि गजटलानि किन्नर किंपुरुपमहोगगन्धर्ववृषभ सिद्धहस्तपटलानि ज्ञातव्यानि कथं भूतानि एतानि पटलानि तत्राह-'सबरयणामया' इत्यादि, 'सव्वरयणामयाई जाव पडिरूवाई' सर्वरत्नमयानि-यावत्-अच्छानि श्लक्ष्णानि नीरजस्कानि की-चंगेरिकाएं है दो दो गंधचूर्ण को रखने की पंगेरिकाएं है दोदोवस्त्र रखने की चंगेरिकाएं है, दो दो आभरणों को रखने की चंगेरिकाएं (टोकरी) है। सिद्धत्थ चंगेरीओ' दो दो सिद्धार्थ-सरसों को रखने की चंगेरिकाएं है। 'लोमहत्थचंगेरीओ' दो दो मयूर पिच्छों को रखने की चंगेरिकाएं है। ये सब चंगेरिकाएं 'सन्वरयणा मईयो अच्छाओ जाव पडिख्वाओ' सर्वात्मना रत्नमय है, और अच्छ आदि विशेषणों वाली हैं । 'तेसिणं तोरणाणं पुरओ' इन तोरणों के सामने दो दो पुष्फपटलाई' दो दो पुष्पपटल है दो २ हयपटल है, दो २ गजपटल है दो दो किन्नर पटल है दो दो किं पुरुप पटल है दो दो महोरग पटल है दो दो गंधर्व पटल है, दो दो वृषभपटल है दो दो सिद्धार्थ पटल है, ये सब पटल 'सव्वरयणामयाई जाव पडिस्वाई' सर्वात्मना रत्नमय छ. तेभन भणे 'मल्लांववुण्णवत्याभरणचंगेरीओ' भाणाय। रामपानी यगरीકાઓ છે. બબ્બે ગંધચૂર્ણ રાખવાની ચગેરીકાઓ છે. બન્ને વસ્ત્રો રાખવાની गेरीमा छे. मने 10 माभूपये। रामपानी यशामा छ. 'सिद्धत्य चंगेरीकाओ' असे सिद्धार्थ:-सरसपने रामपानी रिय। छ. 'लोमहत्थ चंगेरीओ' બબ્બે મેરના પીંછા રાખવાની ચંગેરિકાઓ છે. આ બધીજ ચંગેરીકાઓ (ટપલી) 'सव्वरयणा मईओ अच्छाओ जाव पडिहवाओ' सर्वात्मना रत्नमय छे. तेभर ५२७ विगैरे विशेषणो वाणी छे. 'तेसि णं तोरणाणं पुरओ' मे तोरणोनी सामे 'दो दो पुग्फपटलाई' मे. पु५ ५८ छ. ५७ ५ ५८ छ. मे का પટલ છે. બબ્બે કિન્નર પટલ છે. બબ્બે જિંપુરૂષ પટેલે છે. બન્ને વૃષભ ५टस छ. मध्ये सिद्धार्थ ५८स छ. २मा मधारी पटसो 'सव्वरयणामयाइं जाव पडिरूवाई' सर्वात्मना नभय छे. मने २२७यी साधन प्रति३५ सुधीना
SR No.009337
Book TitleJivajivabhigamsutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1588
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size117 MB
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