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________________ २०५२ जीवाभिगमसू यो विमान पृथिवी कि प्रतिष्ठिता प्रज्ञप्ता ? भगवानाह - 'गोयमा ! घणवाय पड़हिया पन्नत्ता' गौतम घनवाते प्रतिष्ठता । ' वंभलोए णं भंते ! कप्पे विमाण पुढवीणं पुच्छा गोयमा ! घणवायपइडिया पन्नत्ता' ब्रह्मलोककल्पे भदन्त ! विमान पृथिवी कस्मिन्प्रतिष्ठिता ? भगवानाह - बनवाते घनवात एवाधारस्तत्राऽचलम्बिता । 'लंतए णं भंते! पुच्छा ? गोयमा ! तदुभय - पट्टिया ' लान्तक कल्पस्य भदन्त ! पृथिवी क्व प्रतिष्ठिता ? गौतम ! तदुभये घनोदधौ घनवाते च प्रतिष्ठिता । 'महासुकसहस्सारेसु वि तदुभयपट्टिया' हे भदन्त ! महाशुक्र! सहस्रारकल्प योर्विमानपृथिवी किं प्रतिष्ठिता ? भगवानाह - गौतम ! घनोदधिघनवातोभयप्रतिष्ठिता । 'आणय जाव अच्चुरसु णं भंते ! कप्पेसु पुच्छा, ओवासंतरपइडिया' हे भदन्त ! आनतप्राणताऽऽरणाऽच्युतेषु कल्पेषु विमान पृथिवी किं प्रतिष्ठिता ? भगवानाह - अवकाशान्तरे प्रतिष्ठिता गौतम ! 'गेविज्जfara पृथ्वी किसके आधार पर है ? 'गोयमा ! घणवात पइडिया' हे गौतम ! धनवात के आधार पर है 'बंभलोए णं भंते 1 कप्पे विमाण पुढवीणं पुच्छा' हे भदन्त ! ब्रह्मलोक नामके कल्प में विमान किसके आधार पर है ? 'घणवायपइडिया पण्णत्ता' हे गौतम ! ब्रह्मलोक नामके कल्प में विमान घनवात के आधार पर है 'लंतएणं भंते ! पुच्छा है भदन्त ! लान्तक कल्प में विमान किसके आधार पर है ? 'गोयमा ? तदुभयपइडिया' हे गौतम ! लान्तक कल्प में विमान घनोदधि और धनवात इनके आधार पर है 'महासुक्क सहस्सारे वि तदुभयइटिया' इसी तरह से महाशुक्र और सहस्रार कल्पों में भी विमान इन दोनों के आधार पर है 'आणय जाव अच्चुएस णं भंते ! कप्पे पुच्छा' हे भदन्त ! आनत प्राणत आरण अच्युत ५२ रहेला छे. 'बंभलोएणं भंते! कापे विमाणपुढवीणं पुच्छा' हे लगवन् ब्रह्मसो नाभना भां विभान पृथिवी होना आधार पर रहेस हे ? 'घणवायपइट्ठिया पण्णत्ता' हे गौतम! ब्रह्मोङ नामना मुभां विभान धनवातना आधार पर छे. 'लंतपणं भंते । पुच्छा' हे भगवन् ! सान्त भां विभाना ना आधारपर छे ? 'गोयमा ! तदुभयवइट्ठिया' हे गौतम! सान्त अपना विभानो धनोहधि मने धनवातनी आधार पर छे. 'महासुक्क सहस्सा रेसु वि तदुभयपइट्ठिया' भेट પ્રમાણે મહાશુક્ર અને સહસ્રાર પેામાં પણ એ એના આધારપર વિમાના रडेसा छे, 'आणय जाव अच्चुएसु णं भंते ! कप्पेसु पुच्छा' हे भगवन् मानत પ્રાણુત આરણુ અચ્યુત આ ચારે પેામાં વિમાના કાના આધાર પર રહેલા छे ? 'ओवा संतरपइट्ठिया' हे गौतम! या उपोभां रहेला विभाना आाशना ܐ
SR No.009337
Book TitleJivajivabhigamsutra Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1974
Total Pages1588
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size117 MB
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