SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 853
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रमेयधोतिका टीका प्र.३ इ.३ सू.१३ व नषण्डादिकवर्णनन् ८२९ अंजणेइ वा खंजणेइ वा कजलेइ वा मलीइ वा गुलियाइ वा गवलेइ वा गवलगुलियाइ वा अमरेइ वा भमरावलियाइ वा भमरपत्तगयसारेइ वा जंबूफलेइ वा अदारिद्वेइ वा परपुढेइ वा गएइ वा गयकलभेइ वा कणहसप्पेइ वा कण्हकेसरेइ वा आगासथिग्गलेइ वा कण्हासोएइ वा किण्हसपेइ वा किण्हकणवीरेइ वा कण्हबंधुजीवएइ वा, भचे एयारूने लिया, गोयमा ! जो इणद्वे समटे, तेसिं णं कण्हाणं तणाणं मणीण य इत्तो इहपराए चेव कंतयराए चेव पियतराए थेव मण्णुण्णतराए चेव सणासतराए चेव वण्णेणं पन्नत्ते । तत्थ गंजे ते णीलगा तणाय मणीय तेसिं णं इमेशशरूवे वपणावाले पन्नते, से जहाणामए सिंगेइ वा भिंगपत्तेइ वा चासेइ वा चालपिच्छेइ वा सुएइ वा सुयपिच्छेइ वा णीलीइ वा पीलीभेएइ वा जीलीगुलियाइ वा लामाएइ वा उच्चंतएइ वा वणराईइ वा हलहरवलणेइ वा मोरग्गीवाइ वा पारवयरगीवाइ वा अयलीकुसुमेइ वा अंजणसिगाकुसुमेइ वा जीलुप्पलेइ वा णीलासोएइ वा गीलकणवीरेइ वा, णीलबंधुजीवएइ वा, सवेएमारूने लिया ? णो इणढे सगटे, तेसि णं णीलगाणं तणाणं मणीण व एतो इठ्ठलराए चेन कंततराए चेव जाव वपणेणं पन्नते, तत्थ जे ते लोहियमा तणाय मणी य, तेलि णं अयमेयारूचे व गावाले एनसे, से जहा णामए ससगहिरेइ बा उरभरुहिरेइ वा णररुहिरेइ वा वाहरुहिरेइ वा महिसरुहिरेइ वा बालिंदगोवएइ वा बालदिवागरेइ वा संझन्भरागेइ वा, गुंजद्धराएइ वा, जञ्चहिंगुलएइ वा सिलप्पवालेइ वा पवालंकुरेइ वा लोहितक्खमपीइ वा लक्खारसेइ वा किमिरामेइ वा रत्तकंबलेइ वा चीणपिटुरासीइ वा जायसुय
SR No.009336
Book TitleJivajivabhigamsutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages924
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size62 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy