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________________ जीवामिगमत्रे ७९८ साए कई देवसाहसी भी पन्नत्ताओ' बाह्यायां जावाभिधानायां पर्षदि कति देवसाहस्त्रयः प्रज्ञप्ता', 'अभितरियाए परिसाए कई देविया पन्नत्ता' आभ्यन्तरि काय समिताभिधानायां पर्षदि कति देवीशतानि प्रज्ञवानि 'मझिमियाए परि साए कई देविया पन्नत्ता' माध्यमिकायां पदि कृति देवीशतानि मज्ञप्तानि तथा - 'बाहिरियाए परिसाए कई देविसया पन्नत्ता' कह्यानं जाताभिधानायां पपद कृति देवीशतानि प्रज्ञप्तानीति पश्नः, भगवानाइ - 'गोयमा' हे गौतम! 'भूयाणंदसणं नागकुमारिदस्त नागकुपाररन्नो' भूतानन्दस्य खछ नागकुमारेन्द्रस्य नागकुमारराजस्य 'अमिरियाए परिसाए' अभ्यन्वरिकायां समिताभिधानायां पर्ष दि 'पन्नासं देवसाइल्सीओ पन्नत्तामो' पञ्चाशदेव सहस्राणि - प्रज्ञप्तानि कथितानि 'मझिमियाए परिसाए' माध्यमिका पर्पदि 'सद्धि देवसाहस्सीओ मारो का इन्द्र भूतानन्द और यह उसर दिशा के नागकुमारों का राजा है 'मज्झिमाए परिलाए कई देवसाहस्त्रीओ पन्नत्ताओं' इसकी मध्यमा परिषदा में कितने हजार देव कहे गये हैं तथा 'बाहिरियाए परिसाए कहदेव वाहस्त्रीओ पण्णत्ता' इसको बाह्या परिषदा में कितने हजार देव कहे गये हैं । इसी तरह 'अतिरिए परिसाए कह देसिया पण्णत्ता ? मज्झमियाए परिवार फइ देविसया पण्णत्ता, 'बाहिरिया परिसाए कह देवीसया पण्णत्ता' भूनानन्द की आभ्यन्तर परिषदा में कितनी नौ देवियां कही गई है । मध्यमा परिषदा में कितनी सौ देवियां कही गई है ? बाह्या परिषदा में कितनी तो देवियां कही गई है ? इस प्रश्न के उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं 'भूपाणंद - नागकुमारिंदस्स- नागकुमाररनो अतिरियाए परिशए पन्ना देवहला पन्तत्ता' हे गौतम ! नामकुमारेन्द्र नागकुमारराज भूनानन्द की प्रकार परि पदा में ५० हजार देव कहे गये हैं मध्यम परिषदा में 'सर्हि देवसाहये लुतान उत्तर द्विश ना नागकुमारीनो न छे 'सज्झिमियार परिसाए कई 'देवसाहस्सीओ पन्नत्ताओ' तेनी मध्यमा परिषदामां डेटा भर देवा उद्या हे ? तथा 'बाहिरिया परिसाए कइ देवाहस्सीओ पन्नताओ' तेनी माह्या परिषद्याभां डेटा र हेवा उद्या हे ? तेन प्रमाणे 'अभि'तरियाए परिसाए देवि या पण्णत्ता, बाहिरियाए परिसार कइ देविसया पण्णत्ता' भूनानांनी मान्यन्नर પિષામાં કેટલા સે' દૈવિયે! કહે છે ? મધ્યમા પરિષામાં કેટલા સે। દેવચા કડે છે? અને ખાદ્ય પરિષદમાં કેટલા મે દેવો કહેલ મા આવેત્ર છે ? या प्रश्नना उत्तरमा प्रभुश्री गौतम भीते आहे छे है 'भूयानंदहस नागकुमारि दसून नागकुमाररन्नो अतिरियार परिखाए पन्नास देव सहस्सा पन्नत्ता' डे ગૌતમ ! નાગકુમારેન્દ્ર નાગકુમારરાજ ભૂતાનની આભ્યન્તર પરિષદામાં
SR No.009336
Book TitleJivajivabhigamsutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages924
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size62 MB
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