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________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३ सू.४८ नागकुमाराणां भवनादिद्वारनिरूपणम् ७५३ कति देवीशतानि प्रज्ञप्तानि, माध्यमिकाथा पर्षदि कति देवीशतानि प्रज्ञप्तानीति, तथा बाह्यायां पदि कति देवीशतानि प्रजातानि-कयितानीति पश्ना, भगवानाह 'गोयमा !' इत्यादि, 'गोयमा !' हे गौतम ! 'धरणसणं' धरणस्य खल्लु 'नागकुमारिदस्स नागकुमाररन्नो' मागकुपा रेन्द्रस्य नागकुमारराजस्य 'अधितरियाए परिसाए सहि देवसहस्साई' अत्यन्तरिकायां पर्पदि चण्डाभिधानायां षष्टिर्देवसहस्त्रानि प्रज्ञप्तालि, 'सज्जियाए परिसाए सत्तरि देवसहरसाई माध्यमिकायां चण्डाभिधानायां द्वितीयस्यां पर्ष दि सप्तति देवसहस्राणि प्राप्त नि तथा-शाहिरियाए परिसाए अमोइदेव सहस्पाई' व ह्यायां जाताभिध नाणं तृतीयस्यां पर्षदि अशीतिदेवसहस्त्राणि प्तालि, एवम्-'अभिरियाए परिसाए' आभ्यन्तरिकाया समितासिधाना प्रथमाया पदि 'पणसत्तर देवसय पन्न पश्च सप्तत-पञ्चसप्तत्यधिकं देवीशवं प्रज्ञप्तं कथितस्, तथा-'मज्झिभियाए परिसाए एण्णासं देविसयं पन्नत्तं' बाध्यशिका पदि पञ्चाशतं- पञ्चाशदधिकं सभा में कितने हजार देख है ? बाय सभा में कितने छजार देव हैं ? आभ्यन्तर सभा में कितनी लौ देधियां है । मध्यमा सभा में कितनी सौ देवियां है ? इसके उत्तर में प्रसुश्री कहते हैं "धरणसणं णागकुमारिंदरम'नागकुमाररको अभितिरिधाए परिसाए सादेवसहरसाई, मज्झिमियाए परिसाए सत्तरं देवमहालाई, बाहिरिचाए अनीतिदेवसहस्साई' हे गौलम! जागबुमारेन्द्र नागकुमारराज रणनीन्तर परिषदा में ६० हजार देव है। RTR परिषद में ७० हजार देव और बाह्य परिषदा में ८० हजार देव है। तथा-अमिनरपरिहार पण्ण सत्तरं देवीसयं पण्ण मन्झिलियाए परिसाए सणासं देवीलयं पणतं, बाहिरियाए परिसाए पणधीसं देवीन यंप' नामकुम्बारेन्द्र बााकुमारराज धरण की भाभ्यन्तर परिषदा ले १७५ देवियां है। मध्यन परिषदा में છે? મધ્યમ સભામાં કેટલા સ દેવિ છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુશ્રી 3 छ है 'धरणस्स णं णागकुमारिस नागकुमारणो अभि तरि पाए परिसाए सर्द्धि देवसहस्साई, मज्झिमियाए परिसाए सत्तर देव सहस्साई, वाहिरियाए अमीति देव सहस्साई' गीतमा नागामारेन्द्र नहु५२ २१ घरधनी અભ્યતર પરિષદામાં ૬૦૦૦૦ માઈઠ હજાર દે છે અધ્યમ પરિષદમાં ૭૦૦ ૦૦ સિતેર હજાર દેવે છે, અને બાહ્ય પરિષદમાં ૮૦૦૦૦ એંસી હજાર हे। छे. तथा 'अभितरियाएपरिसाए पप्णसत्तरं देवीसय पण्णत्तं, मझिनियाए परिवार पण्णासं देवीमय पण्णत्त, बाहिरियाए परिसाए पणवीसं देवी सय पण्णत्तं' नागमोरेन्द्र नागभा२ २२४ घनी यन्त२ परिपामा १७५ जी० ९५
SR No.009336
Book TitleJivajivabhigamsutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages924
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size62 MB
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