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________________ प्रद्योतिका ठीका प्र०३ उ. ३ सु. ३४ एकोरुकद्वीपस्याकारादिनिरूपणम् ५०३ माला सिंगमाला संखमाला दंतमाला सेलमालगा णाम दुमगणा पन्नत्ता समणाउसो ? कुतविकुलविसुद्ध रुक्खमूला मूलमंतो कंदमंतो जाव बीयसंतो पत्तेहिय पुप्फेहिय अच्छण्ण परिच्छण्णा सीरीए अई अईव उवसेोभमाणा उवसोभेसाणा विति एकोरुयदीवेणं दीवे रुक्खा बहवे हेरुयालवणा भेरुयालवणा मेरुयालवणा सेरुयालवणा सालवणा सत्तवण्णवणापूर्वफलिवणा खज्जूविणा णालिएविणा कुतविकुल विसुद्ध जाव चिति, एगोरुप दीवेणं तत्थर बहने तिलयालवया नग्गोहा जाव रायरुक्खा मंदिरुत्रखा कुल विकुस विसुद्ध रुक्खमूला चिट्टेति । एगोरू दीवेणं तत्थ बहुओ पउमलयाओ जाव सामलताओ णिचं कुसुमियाओ एवं लया वण्णओ जहा उववाइए जाव पडवा । एगोरू दीवेणं तत्थर बहवे सेरिया गुम्मा जाव महाजाइगुम्मा ते णं गुम्मा दसद्धवपणं कुसुमं कुसुमंत विधूयग्गसाहा जेण वाय विधूयग्गसाला, एगुरूपदीवरूल बहुममरमणिजभृमिभागं मुक्कपुष्फ पुंजोबयारकलियं करेंति, एगोरुय दीवेणं तत्थर बहुओ वणराईओ पन्नताओ, ताओ णं वणरा - इओ कि हाओ किण्होभासाओ जाव रम्माओ महामेहणिउचभूषाओ जाव महई गंधद्धणि सुयंतीओ पासादीयाओ४ । गोदीवे तत्थर बहवे मत्तंगा बाम दुसगणा पन्नत्ता समणाउसो ! जहा से चंदप्पभ मणिलिलागवर सीधुपवरवारुणी सुजायपत्तपुष्पफल चोयणिज्जा ससार बहुदब्यजुत्ति संभारकाल संधि - यासवा महुमेरग रिट्टाभदुद्धजाइय पसन्न मेल्लगसयाउ खज्जुरमुद्दिया सारका विसायण सुपक्क खोयरसवर सुरादपणरमगंधफरिस जुत्तबलवीरियं परिणामा मज्जविहित्थ बहुप्पगारा तदेवं
SR No.009336
Book TitleJivajivabhigamsutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages924
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size62 MB
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