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________________ मैयद्योतिका टीका प्र.३ उ.२ ६.१२ करयां पृथिव्यां कति नरकावासाः १६१ सहरसा' नरकायासशतसहस्त्राणि तानि सर्वाणि स्थानपदानुसारेणोपयुज्य वक्तव्यानि, कियपर्यन्त वक्तव्यानि, तबाह-जाव' इत्यादि, 'जाव अहें सत्तमाएं पुढवीए' यावदधः सपमुख्या:पृथिव्या नरकावासा वर्णिता स्तारपर्यन्तमित्यर्थः। अथाध समस्या नरकारासान् सत्रकार प्रदर्शयति-'अहे लत्तमाए' इत्यादि, 'अहें सत्तमाए' इत्यस्यालापकमकारो यथा-अहे सत्तलाए पं संते ! पुढवीए अछुत्तर: सयसहसवाहल्लाए उबरि केवइयं मेगाहित्ता हे केवइयं रज्जेत्ता पज्झे' अधः सप्तम्या: खलु महन्त ! पृषिमा अष्टोत्तरशतसहस्त्रबाहल्याचा उपरि कियत्कम् अगाध पक्षः शिवरकं यजयित्वा मध्ये केवइए' कियति-फियत्ममाणे क्षेन्ने कवाया' किसन्तः 'अणुता' अनुत्तरा नोत्तर येभ्यरते अनुत्तरा: सर्वोत्कृष्टा अतएव महान्या महातिमहालया:- अतिविशा, अतएव 'महानिरया' महानिरया महानरकाः ANATE ? 'एवं पुच्छियचं' एवं-पूर्वोक्तसयसहरला' जहाँ जितने लाख मकाबा कहे गये हैं जहां वह सब अच्छी तरह विधार कार के 'जाम महे समाए पुढबीए' यावत् अधः सप्तमी पृथिवी तक लेना चाहिये। ___अव सूत्रनार अधः सभी पृथिवी के नरकाचारों को कहते हैं'अहे खत्तमाए' इत्यादि । हे सलाए' हे गदन्त अवासप्तमी पृथिवी के जिसका बाइल्प एक लाख आठ हमार योजन का है उसके उपर के भाग में कितना सहनाद करके अर्थात् तितला भाग छोडकर तथा नीचे का शितमा मामा छोडर मज्झे मध्य के कितने खाली भाग में कितने 'अणुत्ता' लुत्सर बोत्कृष्ट अत्यन्त विशाल જાં જેટલા લાખ નરકાવાસો કહેવામાં આવેલ હોય, ત્યાં તે બધા જ સારી सते विचार पुरीने 'जाद अहे सत्तमाए पुढवीर' यावत् मधासभी मेट કે તમસ્તમા નામની સાતમી પૃથ્વી સુધી કહી લેવું જોઈએ. वे सूत्र।२ ५:सभी पृथ्वीना न२पासानु ४थन ७२ छ 'आहे सत्तमाए'. त्या 'अहे सत्तमाए'. सावन अवसभी पृथ्वीना रेनु माडल्य ने લાખ આઠ હજાર એજનનું છે. તેની ઉપરના ભાગમાં કેટલું અવગાહન કરીને अर्थात् स मा छडी तथा नीयन sear मा छोडीन 'मज्झे' ने क्यमान an माजी सभा सा 'अणुतरा' अनुत्तर भत्कृिष्ट अत्यात विशाण या मोटर सते. तेथी ४ 'महानिरचा' मछ। न२४ ४सा? जो० २१ .
SR No.009336
Book TitleJivajivabhigamsutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages924
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size62 MB
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