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________________ पीयूषयषिणो-टोका, शास्त्रोपमहार' m उमुक्कम्मकवया,अजरा अमरा असंगा य ॥सू० १२६ ॥ मूलम्-णिच्छिण्णसव्वदुक्खा, जाइजरामरणपंधणविमुक्का। 'सिद्धत्ति य सिदा इति च-तेपा नाम, कृतकृत्यचात्, 'युद्धत्ति य' बुद्धा इति च-केवलजानेन रिश्वाचनोधात् , 'पारगयत्ति य' पाग्गता इति च-भवसागरपारगमनात , 'परपरगयत्ति य' परपरगता =मिथ्याचादिचतुर्दशगुणम्यानकाना मनुष्यादिसुगतीना च पारपर्येण भवसिन्धुपार प्रामा इति, 'उम्मुकम्मरुवया उन्मुक्तकमकवचा कर्मफवचवर्जिता 'अजरा' अजरा-वयसोऽभावात् , 'अमरा' अमरा --आयुपोऽभावात् , 'असगा य' असद्गाध सकल क्लेगरहित वात् ।। मू १२६ ॥ टीका--'णिच्छिण्ण' इत्यादि । 'णिन्छिष्णसन्चदुरग्वा' निस्तीर्णसर्वद सा-- 'मिद्धत्ति य युद्धत्ति य' दयादि । (सिद्धत्ति य) कृतकृय होन से वे सिद्ध कह जाते है । (युद्धनि य) केवल ज्ञान से सफल लोकालोक के जाना होने से वे बुद्ध कहे जाते है। (पारगयत्ति य) भवरूप समुद्र से पारगत हो जाने के कारण वे पारगत कहे जाते है। (परपरगयत्ति य) मिथ्यात्र-आदि चौदह गुणस्थानको और मनुष्य-~-आदि मुगतियों की परम्परा से भवसिन्यु को पार करने के कारण वे परपरगत कह जाते है । ( उम्मुकम्मरया अजरा अमरा असगा य) कर्मरूप कवच से वर्जित होने के कारण, एव आयु कर्म का सर्वथा प्रक्षय हो जाने के कारण वे अमर कहे जाते हैं। तथा सफललेगा से रहित होन के कारण वे अमग कह जाते है । ये सिद्ध, बुद्ध, आदि सर गन्द, पर्यायवाची शब्द है ।। स १२६ ।। 'सिद्धत्ति य बुद्धत्ति य' त्याह (मिद्धत्ति य) कृतकृत्य डोपाथी तभने सिद्धपामा मावे छ (बुद्धत्ति य) કેવળજ્ઞાનથી સનલ લેકાલકના જ્ઞાતા હોવાના કારણે બુદ્ધ કહેવામાં मा छ (पारगयत्ति य) सप३५ समुद्रवी पारशत य MATrt sो तेमने पात हवामी मानेछ (परपरगयत्ति य) भिश्याव- यो गुस्थान। અને મનુષ્ય આદિ સુગતિઓની પરંપરાથી ભવતિ ધુને પાર કવ્વાને કારણે ५२५२त उपाय छे ( उम्मुक्ककम्मकवया अजरा अमरा असगा य) में કવચથી વર્જિત હોવાના કારણે તેમજ આયુઝર્મને સર્વ ક્ષય થઈ ને કારણે તેઓને અમર કહેવામાં આવે છે, તથા સકલલિશ રહિત દિન કારણે અસગ કહેવામાં આવે છેઆ સિદ્ધ દિ બધા એક પિય વાચી શબ્દ છે (સ ૧૨૬) 1RCa
SR No.009334
Book TitleAuppatiksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages868
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size26 MB
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