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________________ - पीयूषयषिणी-टीका स १०२ सिद्धानाविधासस्थानविषयेभगवद्गीतमयो सबाट ७०९ भृमिभागाओ उड्ढं चंदिमसूरियग्गहगणणखत्तताराभवणा ओ वहइ जोयणाडं, वहुई जोयणसयाई, बहुई जोयणसहस्साई, यहूई जोयणसयसहस्साई, बहूओ जायणकाडीओ, वहुआ जोयणकाडाकाडीओ उड्ढतरं उप्पडत्ता साहम्मी-साण-सणंकुमारअस्या रनप्रभाया पृथिव्या 'बहुसमरमणिज्जानो भूमिभागायो' बहुममग्मीयाद् भूमिभागात 'उड्ढ' ऊर्य 'चदिम-मरिय-गहगण-गक्खत्त ताराभवणाओं चन्द्र-सूर्यग्रहगण-नक्षत्र-ताराभवनात् 'वहइ जोयणाई' बनि योजनानि, 'वहद जायणसया' वहान योजनगतानि, 'वहां जायणसहस्साई बहूनि योननसहस्रागि, 'वहइ जायणसयसहस्साट' यहनि योजनगतसहस्राणि, 'बहओ जोयणकांडीओ' वहन्यो योननकोट्य 'यहओ जायणकोडीकोडीओ' वहयो योजनकोटिकोट्य 'उड्दतर उप्पडत्ता' अन्तरमुत्पय सोहम्मी-साण-सणकुमार-माहिद-भ-लतग-महामुक सहस्सारजाणय-पाणय-भारण-अक्षुए सौर-मान-सनकुमार-माहन्दब्रह्मान्तक-महाशुकके (बहुसमरणिजाओ भूमिमागाओ) बहुसमरमणीय भूमिभाग से (उड्ढ) ऊँच-ऊपर (चंदिम-मुरिय-गगहगण--णखत्त-ताराभवणाओ) चद्रमा, मूर्य, ग्रह, नक्षत्र एव ताराओं के भवनों से (बहड जोयणाइ बहई जोयणसयाइ वह जोयणसहस्साह वहूई जोयणसयसहस्साह वही जोयणकोडीओ वही जोयणकोडीकोडीओ) बहुत योजन, बहुत सैकडो योजना बहुत हजारों योजन, बहुत लामोंयोजन, बहुत करोडोंयोजन एव अनेक कोटामोटी योनन (उड्ढतरं उप्पइत्ता) ऊपर जाने पर (सोहम्मी-साण-सणकुमार-माहिदवभ-लतग-महामुक्-सहम्सार-आगय-पाणय-आरण अच्चुए तिणि य अट्ठारे गेविज रयणापहाण पुटवीए) 241 २लाला पृथिवीना (बटुसमरमणि-जाओ भूमिभागाओ) मभरभय मुभिमाथी ( उदढ़) 62-6५२ (चदिममूरियग्गहगणणसत्तताराभवणाओ) यद्रमा, सूर्य, भ, नक्षत्र भर तारामाना सपनाथी (यहइ जोयणसयाइ यहइ जोयणसहस्साइ बहूइ जोयणसयसहस्साइ बहूओ जोयणकोडीओ बहुओ जोयणकोडीकोडीओ) या सापा 2101, ul 31 યોજન, હજારે એજન, ઘણા લાખો યોજન, ઘણા કડે યોજન તેમજ भने टाढाटी योरन (उडढतर उप्पइत्ता) 8२ rat (सोहम्मी-साण-- मणकुमार-माहिद-बम-रतग-महामुक्क-सहस्सार-आणय-पाणय-आरण- अच्चुए
SR No.009334
Book TitleAuppatiksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages868
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size26 MB
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