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________________ ૨૨ औपपातिकमरे - - दिषणपंचंगुलितले उचियचंदणकलसे चंदणघडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभाए आसत्तोसत्तविउलवटेवग्धारियमल्लताभ्या महित युक्तम् । 'गोसीससरसरत्तचदणददर दिण्णपचालितले' गोशीर्पमरसरक्तचन्दनप्रचुरदत्तपञ्चाङ्गुलितलम्, गोगीर्ष-गोरोचन सरन रक्तचन्दनम्, एतेन चन्दनस्य पीतवर्णता रक्तता च व्यन्यते, तेन पातरक्तसरसचन्दनेन दर्दर-प्रचुर यया स्यात्तथा दत्त पञ्चानामङ्गलीना तलच्यायतपञ्चाङ्गुलपागितल चपेटारूपम् अङ्कन चिह्न यत्र तत् तथा । 'उचियचरणकलसे' उपचितचन्दनकलगम्-मङ्गलार्थ न्यस्तचन्दनलिमघटम् । 'चंदणघडमुफयतोरणपडिदुवारदेसभाए। चन्दनघटसुकृतनोरगप्रतिद्वारदेशमागम्-चन्दनघटाश्च सुष्टु कृततोरगानि च प्रतिहारदेशभागे यस्य तत्तथा, यत्र प्रतिद्वारे चन्दनलिसकलशा सुन्दरतोरणानि च सन्तीयर्थ , 'आसत्तोसत्तविउलपबग्धारियमल्लदामालावे' आसक्तोसक्तविपुलवृत्ताऽमतारितमाल्यदामकलापम्--आसक्तो भूमिनसक्त उसक्त ~ उपरिममक्त , विपुलो विस्तार्ण , 'चट्टो' वृत्तो-तुलो गोलाकार, उपरिदेशात्-अवतारित प्रलम्बमानीकृत ,'मलदामालावे' माल्यानि-कुसुमानि, तेपा दामानि-माला पुष्पमाला , तेवा माल्यवान्ना रहती थी। इस कारण सूब महित-चमकती रहती थी। (गोसीससरसरत्तचदणददरदिण्णपचालितले ) भित्तियों में जगह २ पर गोरोचन और सरस रक्तचदन के प्रचुरमात्रा मे हाथे लगाये हुए थे । ( उपचियचदणकलसे) उस रक्षालयमे मगल के निमित्त चन से लिम कलश स्थापित थे। (चदणघडकयतोरणपडिदुवारदेसभाए) प्रयेक द्वारों पर चढन के घट रसे हुए थे, एच अच्छी तरह से बनाए गये सुन्दर तोरण दरवाजों के ऊपर सुशोभित हो रहे थे, अथवा चदन के छोटे २ कलशो से दरवाजों पर तोरणों की रचना करने में आई थी। ( नासत्तोसत्तविउलबटवग्धारियमडीया पातायतीखती ती तार तेजून महित-यमती नीती (गोसीससरसरत्तचदणददरदिण्णपचालितले) सीतमाशे गायन भने सरस २४तयहनना थापा भूम प्रमाणभा दगावता उता (अचियचदणकलसे) ते यक्षालयमा भगसना निमित्त न्यन use Aयापित त (चदणघड सयतोरणपडिदुवारदेसमाए ) प्रत्ये: द्वारे ७५२ यहाणा बट रामेला હતા તેમજ સરસ રીતે બનાવેલા સુદર તેરણ દરવાજાની ઉપર સુશોભિત લટકી રહેલા હતા અથવા ચંદન લગાવેલા નાના નાના કળથી દરવાજા ५२ ताशनी स्थना ४२वामा मापी उनी (आमतोसत्तविलवटaran
SR No.009334
Book TitleAuppatiksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages868
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size26 MB
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