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________________ बोरगति ६४ - निंदणाओं गरहणाओ तालणाओ तज्जणाओ परिमवणामो पध्वहणाओ उच्चावया गामकंटगा वावीसं परिसहोवसन्गा आहे. 'जारजातोऽसि' इत्यादिरूपा इत्यर्थः । 'खिसणाभो बिसा -लोकसमक्ष मोद्घाटनम्, 'निंदणाओ' निन्दना मनसा जुगुप्सा, 'गरहणामो' गर्हणा -समझे क्रियमाणा जुगुप्सा, 'तालणाओ' ताडना -चपेटादिदानानि, 'तजणाओ' तना अमुल्याद, प्रदर्शनपूर्वक कटुवचनकथनानि, 'परिभवणाओ' परिभावनास्तिरस्कारा , 'पबहणाओ' प्रव्यथना -पीडोत्पादना, 'उच्चारया' उद्यायचा अनेकविधा , 'गामक्टगा' प्रामकण्टका, पाम =समूह ,स चेद्रियाणामिह प्रकरणवशाद गृह्यते, इन्द्रियाणा प्रतिकूला शब्दादय इत्यर्थ, 'वावीस परीसहोवसग्गा' द्वाविंशति परीपहोपसर्गा 'अहियासिज्जति' अधिसहिष्यन्ते, 'तमहमारादित्ता' तमर्थमाराव्य-आमकन्याणरूप तमचे साधयित्वा 'चरिमेहि उस्सासणिस्सासेहिं ' चरमैरुच्छ्वासनि श्वासै सिमिहिति' , सेत्स्यतिके समक्ष अपने ममी के उद्घाटनों का, (णिदणाओ) अपने प्रति लोगों के मानसिक घृणाओं का, (गरहणाओ) लोगों द्वारा प्रत्यक्षरूप से की गयी घृगाओं का, (तालणाओ) थप्पड़ आदि की ताडना का, (तजणाओ) अगुली-निर्देश-पूर्वक कहे हुए कटु वचनों का, (परिभवणाओ) तिरस्कारों का, (पव्वहणाओ) पीडाजनक परिस्थितियों फा, (उच्चावया) अनेक प्रकार के, (गामकटगा) इन्द्रियों के प्रतिकूल गन्दादिकों का, (वावीस परीसहोवसग्गा) बाईस प्रकार के परीपहों का, एव परकृत उपसर्गों का (अहियासिज्जति) सहन किया जाता है, (तममाराहिता) वे दृढप्रतिज्ञ केवली भग । वान् उस आत्मकल्याण रूप अर्थ को आराधित करके (चरिमेहिं उस्सासणिस्सासेहि) દ્વારા થતી ખીજવણીનુ-લે કે સમક્ષ-પિતાની માર્મિક વાતને પ્રકાશ थाय तेनु , (गिंदणाओ) पाताना प्रति aantी भानसि धृामानु, (गरहणाओ) astथी प्रत्यक्ष रायसी यामानु, (तालणाओ) ५५४-माहियो भार भावानु, (तजणाओ) माजी सीधीन ४ ४४ क्यना (परिभवणाओ) ति२९४ारार्नु, (पव्वहणाओ) पीन परिस्थितिमानु, ( उच्चावया) सने आमा (गामकटगा) द्रियाने प्रति शमानु, तथा (बावीस परीसहोवसग्गा) मावीस मारना पशषसानु तेभर मीन रेस। समानु (अहियासिज्जति) सन ४२२५ छ (तमद्रमाराहिता) प्रतिपक्षी alपान मात्भया३५ मथन माराधित ४शन (परमेहि उस्सास-णिस्सासेहि) मन्तिम पास-निवासायी (सिजिहिति) कृतकृत्य 25 नये
SR No.009334
Book TitleAuppatiksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages868
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size26 MB
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