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________________ - SM -शद : TET पाद: ५८३ मूल पग्निाचा शूलए पागाडआ पवार जावजी नाम पनि गरे राव जादजीबा ॥ ४॥ मूलन पन्निवायणो कापड का नाम निवागांत पन्नड पग्निागावमय लागणाटका पहाजीपाए जायम प नि गर्न गाम, सम्पन गवाद भ. arma नामविक 'मेहग' प EET मा गायावान गावीचन् । ३४॥ मा-माम बिगदि । 'मानहरू पनि __ न रिमा-गा। । नन्न बिमा ) बट पनिाडा ने यूआणावाए ब नलीवार ) माया का परित्याग किया है (गाव गल, लीगल गमग, न्यून नागन मा, पूल परिबह का भी गर्न गायिा है। पा) प म मंहगे पञ्चा बाप जावीवार) अन्य कैयन या नहीं किया है जिनु न तो उसने ममत्त प्रकार है। 1 न न्दिाग'गदि । माया ) म अन्य पनिान के लिये विहा कन्ने पवित्यादि (म ज्यिान) ५४ पन्निा (थुलपाणासार जय जारींग- ४ प्रानि ACTER पच्यिा डयो . 1 जान पाईनी - पापाना. अयू म-anal, स्यूब याचना पर यान पग्न्यिाशयो () F (न्य मेहुणे वल्या जाजीना) यी र नना पहिल्यास नयी ® पन्तु ना त न - पायी नपर्यन्त पग्न्यिा उर्या (५० 36) ' पविल याति (इस पब्लिागार) पर पति ने माट विहार -
SR No.009334
Book TitleAuppatiksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages868
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size26 MB
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