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________________ पोपविणो-टीका स् १५ अम्नदपरिमाजय शिष्याणा सस्तारयग्रहणम् ६८० णियाओ य, करोडियाओ य, भिसियाओ य, कृष्णालए य, अंकुस य, केसरियाओ च, पवित्त य, गणेत्तियाओ य, छत्तए य, वाहणाओ य, पाउयाओ य, धाउरताओ य एगंते एडित्ता, गंगं महाणडं ओगाहित्ता. बालयासंथारए संथरिता, संलेहणा य' करोटिकाथ मृण्मयभाजन विशेषान 'भिसियाओ य' वृपिकाच= उपवेशनपट्टिका, " 'छष्णालए य' पण्णादिकानि च=निकाष्टिका, ' अंकुसए य ' अङ्कुशकाथ = आकपणिका - वृक्षपट्टयाचाणसाधनविशेषान् देवार्चने पत्रपुष्पफलाना मग्रहार्थमयुगका उपयुज्यन्ते, 'केमरियाओ य ' केशरिकाथ प्रमार्जनार्थानि वखराण्डानि, 'पविचए य ' पवित्रकाणि= ताम्रमयमुद्रिका, 'गणेत्तियाओ य ' हस्तधार्या स्वाक्षमाला, ' गणेत्तिया ' इति हस्ताक्षमा देवीयशब्द, 'उसए य' आणि च ' वाहणाओ य उपानहथ, 'पाउयाओ य ' पादुकाश्च = काष्ठपादुका, 'वाउरताजी य' धातुरक्ताच= गैरिकोपर जिता, शाटिका = न्यासि परिधानीयवस्त्राणि, एतानि सवाणि ' एगते एडिता ' एकान्ते व्यक्त्या, 'गग महागडं ओगाहिता' गङ्गामहानदीमवगाह्य गगाया मद्दानवामननीर्य - 'बालुवासवारए सरिता' वालुकामस्तारकान् मस्तीर्य, 'सलेहाइसियाण' म्ल्सना - , मिट्टी के बने हुए पापों को, कृषिकाओं बैठने के पाटियों को, तिपाइयों को, देवों का पूजा के लिये पत्र-पुष्पादिकों के गिराने के वास्ते मदा पास में रहनेवाली छोटी सी अगिका को, केशरिका को प्रमार्जन करने के काम मे आनेवाले वस्त्र के सड़ों को, तामे की मुद्रयों को, सुमरिनियों को, छत्रों को, जूतों को, काष्ठ की पादुकाओं को एवं गैरकधातु से रक्त पहिरन की धोतियों को एकान्त में छोड़कर महानदा गंगा को पारकर (पालुयामथारए सथरिता ) उसके तट पर बालुका का मारा और उस पर માળાઓને, તટેડાએ-માટીના અનેલા પાત્ર વિશેષેને, વૃષિકાએ બેસવાના પાટલાઓને, ત્રિપાઈઓને ઘેાડીને), દેવેને ધૃત્ત નિમિત્ત પત્ર, પુષ્પ આદિ રાખવા માટે સદા પાસે રહેવાવાળી નાની ઞરખી અ શિાને, કેશરિકાઓને-પ્રમાર્જન કવાના કામમાં આવવાવાળા વજ્રના ટકાએન, તાખાની भुहरियोने, भुभरिनियोने, छत्रोने, भेडाने, लाउडानी पाहुने, તેમજ ગેરૂ ર્ ગેલા પહેરવાના ધેતિયાઓને એક ઠેકાણે રાખી દઈ ને भडानही गगाने उतरीने ( बालुयासथारण सथरिता ) तेना तट पर रेतीना
SR No.009334
Book TitleAuppatiksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages868
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size26 MB
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