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________________ पोपपिणो-टीका स ट यानशालिकस्य पलव्यापृताऽऽदेशसपादनम ३७९ आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेड, पडिसुणित्ता जेणेव जाणसाला तेणेव उवागच्छड, उवागच्छित्ता जाणाई पञ्चुवेक्खेड, पन्चुवेक्खित्ता जाणाड संपमजेड,संपमजित्ला जाणार्ड संवटेड,संवट्टित्ता जाणार्ड णीगेड,णीणित्ता जाणाणं से पवीणेड, पवीणिताजाणाडं प्रतिशृणोति स्वीकगेति, प्रतिश्रुय आज्ञावचन पौत्य यत्रैय यानगाला तपोपागच्छति, उपागय 'जाणाइ पच्चुवेरखेड' यानानि प्रयुपेक्षते- सम्यक प-यनि, प्रत्युपेक्ष्य दृष्ट्वा 'जाणाद सपमज्जेड' यानानि सम्प्रमार्जयति-विगतरजासि कुस्ते, सम्प्रमार्य, 'जाणाई सब?' यानानि चर्तयति-स्फस्मिन् म्याने स्थापयति, 'संवट्टित्ता' पय॑ 'जाणाई पीणेड' यानानि नयति-गालातो वहिपगेति, नाया 'जाणाण' यानाना 'दसे' दूप्याणि-आच्छादनवस्त्राणि 'पवीणेइ' प्रविनयति अपसारयति, प्रविनीय-अपसार्य, आनाको सुनकर (आणाए विणएण वयण) उस आनावचन को पिनयपूर्वक (पडिसुणेट) स्वाकार किया, (पडिसुणित्ता) स्वीकार करके फिर वह (जेणेव जाणसाला) जहा यानाला थी (तेणेव उवागच्छद) वहाँ पहुँचा, (उवागच्छित्ता) पहुँचकर (जागाइ पञ्चुवेक्खेड) उसन वहा पहिले रथ आदि यानों को अच्छी तरह से देसा । (पन्चुवेक्वित्ता) देसफर (जाणाई सपमन्जट) उसने उसे अच्छी तरह झाड-झड कर साफ किया । (सपमनित्ता जाणाई सबट्टेइ) साफ करने के बाद उसने फिर जितने चायेि थे उतने यान एक जगह एकत्रित किये। (सवहिता) टकह करने के बाद (जाणार णीणेट) वहा से उसने उन सर को बाहिर निकाला। (णीणित्ता) वाहिर वानी माजा मामणीने (आणाए विणण्ण वयण) ते माजावयननी विनयपूर्व (पडिसुणेइ ) वीर ध्यो (पडिसुणित्ता) भ्वा०२ गने पछी ते (जेणेन जाणसाला) या यानशाता हती (तेणेस उपागच्छइ) त्या पा-यो (नाग त्तिा ) पडाचीन (जाणाइ पन्चुवेस्या) तेरे त्या पडसा २५ हि यानाने माग गते नया. ( पन्चुवेरिखता) लेधने ( जाणाइ सपमजेइ) ते तेथे भाग गते पाणी-४ मा र्या ( सपमज्जिता जाणाइ सव?ई) मा ४१ લીધા પછી તેણે જેટલા જોઈતા હતા તેટલા યાન (વાહન) એક જગાએ मे ४यो (सवट्टिता) ४१ ४२॥ सीधा पछी (जाणाइ णीणेड) त्याथी तो ये पधाने मा२ दया (गीणित्ता) २ बाढीने (जाणाण दूसे
SR No.009334
Book TitleAuppatiksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages868
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size26 MB
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