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________________ भोपातिकत्रे -- -- - - - - - - - - - - - तरवाहिरियं आसित्त-सित-सुइ-सम्म-रत्यंतरा-वण-वीहियं मंचाइमंच-कलियं णाणाविह-राग-उच्छिय-ज्झय-पडागा-इपडाग-मंडियं लाउल्लोइयमहियं गोसीस-सरस-रत्तचंदण-जाव-गंधवट्टिभूयं चम्पा च नगरी साभ्य तनाताग, 'आसित्त-सित्त-मुह-संमट्ठ-रत्यतगवण-वीडिय' आसिक्त-मिक्त-शुचि-समृष्ट-रध्यान्तरा-उपग-वीथिकाम्-आसिक्तानि पतसितानि, सिक्तानि भूयसा जलन धौतानि अतण्व गुचानिपचितागि समष्टानि कचरापनयनेन सशोधितानि रथ्यान्तगणिग्ध्यामध्यानि आपणचीययश्च-हमा यस्या सा आमिक्त-सिक्ताशुचि-समृष्ट-रथ्याऽन्तराऽऽपग-वीयिका, ताम् , 'मचा-मच-गलिय' मक्षा-तिमञ्च करिताममञ्चा मालका दर्शकजनोपरेशनयोग्या , अतिमच्चा =मनोपरिमच्चा , तै कलिता--युक्ता ताम्, 'गाणाविह-राग-उन्छिय-ज्झय-पडागा-इपडाग-मडिय' नानाविध-रागो-प्कृितध्वज-पताकाऽतिपताका-मण्डिताम्-नानाविधरागा विविधपर्णा ये उच्छ्रिता ध्वजा , पताका. निपताका - पताका - वजाप्रवर्तिचेलाञ्चलानि, पताकामतिकान्ता अतिपताका -पताकोपरिवर्त्तिन्य पताका , ताभिर्मण्डिताम्-मुशोभिताम्-नानाविधवर्णसमुच्छ्तिपजपताफाऽतिपताकाभिर्मण्डितामित्यर्थ । 'लाउ-लोटय-महिय' लाउलोडयमहिताम्-'लाउ तरवाहिरिय ) चपानगरी को भीतर एव बाहिर से (आसित्त-सित्त-मुइ समठ्ठ-रत्यतरावणवीहिय) पहिले थोडे से जल से छिडकना कर पीछे अधिक जल से छिडकवाकर गलियों के एव बजारों के रस्ता को साफ-सूफ करवाओ और जहा भी कूडा-कर्कट पड़ा हो उसे झडवाकर माफ करवाओ, (मचा-इमच-कलिय णाणाविह-राग-उच्छिय-ज्झय-पडागा उपडाग-मडिय) मार्ग मे आजू-बाजू मचा पर मच जमवाफर लगवा दो, ताकि लोग उन पर अच्छी तरह से बैठ सके। अनेक रंगों की ऊँची २ ध्वजाएँ, पताकाएँ एव अतिपताकाए नगर भर म लगाओ, (लाउलोइयमहिय) जगह २ पर गोबर से जमीन को लिपवाआ सह-संमद्र-रत्थतरावण-धीहिय) पता थोडा पाहीना छ ४१ उशने की વધારે પાણી છ ટાવીને ગલિયેના તેમજ બજારેના રસ્તાઓને સાફસૂફ કરાવી, અને જ્યાં પણ ડ્રડા-કર્કટ (ચરેપૂ જે) પડયે હોય તેને ઝાડુ મરાવી સાફ કરાવે (मचा-इमव-कलिय णाणाविह-राग-उच्छिय-ज्झय-पडागा-इपडाग-मडिय) भाभा આજુબાજુ મ ચ ઉપર મ ચ ગોઠવાવી દે જેથી લોકો તેમના પર સારી રીતે બેસી શકે અનેક રોગોની ઉચી ઉચી ધજાઓ, પતાકાઓ તેમજ અતિ पता न१२लरमा साम। (लाउल्लोइयमहिय) aron गा५२ छाएथी
SR No.009334
Book TitleAuppatiksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages868
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size26 MB
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