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________________ २०४ औपपातिकत्रे ४ आयामसित्थभाई, ५ अरसाहारे, ६ विरसाहारे, ७ अंताहारे, विगइरहियस्स ओयण, - भजियचणगाउलुक्ख - अन्नस्स । खित्ता जले अचित्ते, खाण आयनिल जाण ॥ ३ ॥ इति 'आयाम - सित्थ भोई' आयाम सिक्थ भोजी, अवस्रावणगतसिक्थभोक्ता, ४ 'अरसाहारे' अरसाऽऽहार -अरस = जीरक हिमवादिभिरमस्कृत आहारो यस्य सोऽरसाऽऽहार ५ । 'रिसाहारे' निरसाऽऽहार - विरस = विगतरस - पुराणधान्योदनादि आहारो यस्य स निरसाहार ६ । ' अताहारे ' अन्त्याऽऽहार - अन्ते भवम् अन्त्य - जघन्यधान्य कोद्रवादि तदेवाऽऽहारो यस्य सोऽन्त्याहार ७ । 'पताहारे' प्रान्ताऽऽहार - प्रकर्षेणान्त प्रान्त - पाकपानादन्ने नि सारिते तत्पात्रलिष्ट दर्यादिना घर्पणेन नि सारितमन्न, वल्लचणकादिनिष्पादि कहा भी हे–“विगइरहियस्स ओयणभज्जियचणगाइलुक्खअन्नस्स । खित्ता जले अचित्ते खाण आयपिल जाण" इसका अर्थ आयनिल का जो अर्थ किया है वही है (३) । (आयाम सित्थभोई ) आयामसिक्थभोजी - ओसामण में आये हुए सीथ मात्र का आहार करना (४) । (अरसाहारे) अरसाहार-जारे हींग आदि से विना बधारे हुए आहार का लेना (५) (विरसाहारे) विरसाहार - विगत रसनाले पुराने धान्य का आहार लेना ( ६ ) । ( अताहारे) अन्ताहार- काद्रव आदि तुच्छ धान्य का आहार लेना (७) । (पताहारे) प्रान्ताहार - पकाने के वर्तन में से अन्न के निकालने पर करछली आदि के घर्षण से पान मे लगा हुआ जो कुछ अन्न निकाला जाता है वह, अथवा वल्ल चगा आदि से बना हुआ पश्चात् सही छाछ से मिश्रित अन्नादि એક ઠેકાણે એસી એકવાર ખાવુ તે આચામામ્લ તપ छे" विगइरहियस्स ओयणभज्जियचण गाइलुक्स अन्नस । सित्ता जले अचित्ते साण आयबिल जाण " मानो अर्थ माय जिसने ने अर्थ यो छे ते ४ छे (3) (अयामसित्थभोई) આયામસિકથાજી–એસામણુમા આવેલા મીથના જ માત્ર આહાર કરવા (४) (अरसाहारे) मरसाहार - ३ डीग माद्दिथी वधार्या वगरना लोटनने। भाडार ४२ (१) (विरसाहारे) विश्भाडार - २स पगरना लुना धान्यथी जनेषु भाडार सेवा (अताहारे) मताहार-अहरा याहि तुच्छ धान्यनेो भाडार देवे। (७) (पताहारे) प्रान्ताहार - राधवाना वाभशुभाथी भन्न ठाढी सीधा पछी अच्छी આદિના ઘણુથી પાત્રમા લાગેલ જે કાઈ અન્ન નિકાળવામા આવે છે તે અથવા વાલ -ચણા આદિના અનેલો (લોટ) પછી ખાટી છાશમા મેળવી રાધેલુ અન્ન આદિ તે
SR No.009334
Book TitleAuppatiksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages868
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size26 MB
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