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________________ पोयूपयापंणो-टीका मू. ३० भिक्षाधर्यातपोवर्णनम् २१९ १३, अवणीय-उवणीयचरए ११, संसहचरए १५, असंसहचरए १६, तज्जायमंसहचरए १७, अण्णायचरए १८, मोणचरए १९, नि मायान्गत्र स्थापित तदेव अपनीत, तार्थ चरति--इयपनीतचरक ।१२। 'उवणीयअवणीय-चगए' उपनीनापनीनचरक -यदेव उपनीतम्-अन्येन प्रेपित तदेव अपनीत स्थानान्तरे स्थापित नद ग्रीनु चरति दयुपनीताऽपनीतचरक 1१३। 'अवणीय-उपणीय-चरए' अपनीतोपनानचक -अपनीतम् कम्मै निन अन्यस्मै दातु नि मायांन्यत्र स्थापित, तदेव उपनीत यस्य गृहस्थम्य मी प्रेषित तम्य गृहस्थम्य गृह प्रापित तदपनीतोपनीत, तन्थ चरतीयपनीतोपनीनचरक ।१३। 'ससढचरए' ससृष्टचरक -ससृष्टेन परण्टितेन हस्तादिना टीयमान ससृष्टमुध्यते, तद् प्रहातु चरति-इति ससृष्टचरक ।१५। 'अससद्धचरए' अससृष्टचकअससृष्टेन अमरण्टितेन चरति-दत्यससृष्टचरक । १६ । 'तन्जायससट्टचरए' तजातमसृष्टचरक -तनातेन परिविष्यमाणद्रव्येण यत्ससृष्ट हस्तादि, तेन दीयमान वस्तु ग्रहीतु यदुमरे को देने के लिये निकाल कर रख दिया होगा । १३-(उवणीय-अत्रणीय-चरए) उपनी-अपनीतचरक-में वही पदार्थ लगा जो उस दाता के लिये किसी दृमरेने उसके पाम गाना होगा. और दाताने उसी पदार्थ को यदि दूसरे को देने के लिये एक तरफ म रहा होगा । १४-(अवणीय-उवणीय-चरए) अपनीतउपनीतचरक-किसी गृहस्थने किसी व्यक्ति को देने के लिये अन्नादिक अन्यत्र स्थापित कर रम्बा होगा और उसको उसने उसके या भेज दिया होगा, तथा वह उसके घर भी पहुंच चुका होगा, उममें से देगा तो लूगा । १५-( संसहचरए) ममृटचरक-भरे हुए हाथ से देगा तो लूगा । १६-(जमसहचरए) आगमृष्टचरक-विना मरे हुए हाथ से देगा तो लूगा । १७ (तन्नायससहचरए) तज्जातममृष्टचरक-हाथ जिस चीज से ससष्ट भरा रहा होगा वही चीज यदि तो ofins माधुसन पाने भाटे ४ढी राय [13] (उपणीयअरणीयचगा) पनीत-सपनीत-५२४- पहा બીજાએ તે દાતાને માટે તેની પાએ મેક હોય અને દાતાઓ તે જ પદાર્થને उई मीतने वा माटे ४ १२५ राणी भूश्या डाय [१४] (अवणीय उमणीयचरए ) मपनीत-नीत-य२४-डी उत्थे 81 व्यतिने हेवा भाटे અનાદિક બીજે ઠેકાણે રાખી મુકેલ હોય અને તે તેણે તેને ત્યાં મોકલી દીધુ હેય અને તે તેને ઘેર પણ પહોંચી ગયું હોય તેમાથી આપશે તે લઈશ [१५] (मसट्टचरए) ससष्टय ४-४ माहिथी सरेसा पायथी मापसे तो PUN (१६) (अससदृचरप) भस सध्य२३ ११२ मरेसा हाथी माप ते ७A
SR No.009334
Book TitleAuppatiksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages868
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size26 MB
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