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________________ १७० - भोपपातिकमा मियं भिक्खुपडिम, खुड्डियं मोयपडिम पडिवण्णा, महष्टियं मोयपडिम पडिवण्णा, जवमझं चंदपडिमं पडिवण्णा, वइरसख्याक्रमेण कार्या। केचिन् ‘सुहियं मोयपटिम पडिग्णा' क्षुछिका मोकप्रतिमा प्रतिपन्ना , अस्या क्षुल्लकच महत्यपेक्षया योध्यम् । तया 'मल्लिय मोय. पडिम पडिण्णा' महती मोकप्रतिमा प्रतिपन्ना । अनयो प्रतिमयोन्याश्या प्रथान्तरे विलोकनीया। 'जयमझ चदपडिम पडिपण्णा' यवमन्या चद्रप्रतिमा प्रति पन्ना -यवस्येव मध्य यम्या सा यवमध्या, चन्द्र इव कलावृतिहानिभ्या या प्रतिमा सा चन्द्रप्रतिमा, तथा हि शुक्लप्रतिपदि-एक कवलम् अभ्यवद्दय प्रतिटिनमेकैकइस प्रकार आहार और पानी की सब दतिया ८१० होती है । तथा (दसदसमिय भिक्खुपडिम) दशदशमिका भिक्षुप्रतिमा के धारक थे। यह भिक्षुप्रतिमा दश ढगाहा में, अर्थात् सौ दिनों में पूरी होती है। इसमें प्रत्येक दशवें दिनमें दस दत्तिया आहार की और दस दत्तिया पानी की होती हैं। इस प्रकार आहार और पानी की कुल दत्तिया ११०० होती है । कितनेक मुनिजन (खुड्डिय मोयपडिम पडिवण्णा) क्षुल्लक मोकप्रतिमा के धारक थे। तथा-(महल्लिय मोयपडिम पडिवण्णा) महामोकप्रतिमा के धारक थे। तथा फितनेक मुनिजन (जवमज्झ चदपडिम पडिवण्णा) यवमध्य चन्द्रप्रतिमा के धारक थे । इस प्रतिमा मे शुक्ल पक्ष की एकम तिथि में एक कवल आहार किया जाता है । प्रतिदिन एक एक कवल की वृद्धि से पूर्णिमा में १५ कवल आहार દિવસેના આતના દિવસે એક એક દત્તિની વૃદ્ધિ થવાથી નવ દક્તિએ આહા રની અને નવ દત્તિઓ પાણીની થાય છેઆ પ્રકારે આહાર અને પાણીની सधी हुत्तिया ८१० थाय छे तथा (दसदसमिय भिक्खुपडिम) यशभि भिक्षु પ્રતિમાના ધારકે હતા આ ભિક્ષુપ્રતિમા દશ દશ હેમા અર્થાત સે દિવસમાં પૂરી થાય છે એમાં પ્રત્યેક દશમા દિવસે દશ દત્તીઓ આહારની અને દશ દત્તિઓ પાણીની હેય છે આ પ્રકારે આહાર અને પાણીની કુલ દત્તિઓ ૧૧૦૦ शायरसा मुनिन (खुड़िय मोयपडिम पडिवण्णा) क्षुटसभाप्रतिभाना धा२४ gal तया ( महल्लिय मेायपडिम पडिवण्णा ) महाभा४ प्रतिभाना घा२४ ता तथा ८४ मुनिन (जवमझ चदपडिम पडिवण्णा ) અધ્યચ દ્રપ્રતિમાના ધારક હતા આ પ્રતિમામાં શુક્લપક્ષની એકમ તિથિમાં ક, કેળિઓને આહાર કરાય છે પ્રતિદિન એક એક કળિઆને વધારે
SR No.009334
Book TitleAuppatiksutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages868
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aupapatik
File Size26 MB
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