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________________ १९८ उपासकदशाङ्गसुत्रे धारकः, पट्कायरक्षकः, व्यसनसप्तस्य मदाष्टकस्य च परिहारवान, गुप्तबह्मचारी, दशाना यतिधर्माणा धारक, तपः सयमादिविविधगुणनान, गज हय गाडी पाल्यङ्की वहियान पाइयान मुष्टिल ( यान ) वायुयान विधान ताम्रयान शिविकादिवाहन मानानारोही, पादविहारी, परित्यक्त च्छ पादुकोपानुत्पादत्राणश्च भवति, निर्दोषा नादिग्राहकः, सचितजलत्यागी सार्थ संपादिते सेवार्थ साथै गच्छतो गृहस्थस्य चानपाने न गृह्णाति, न नाते स्वार्थे निर्मापयते, शिर केशान्निर्लुञ्चयति, वायुकायादिरक्षणार्थ मुखोपरि सदा सदोग्कमुखखिका निनाति, जीवरक्षणार्थं च रजोहरण प्रमार्जिके धारयति, स्त्रियो न स्पृशति, न वा तत्सपृक्त स्थाने रात्रिषु, १ पालखी रेल साइकिल मोटर हवाईजहाज ट्रामचे तामजान खड़खडिया (ताँगा घोड़ागाडी ) इति भाषा २ ते = अन्नपाने | - पाचो इन्द्रियोंके निग्रह करने वाले, पाच समिति तीन गुप्तिके पालक, पह्काय के रक्षक, सप्त व्यसन और आठ मदोंके त्यागी, गुप्तब्रह्मचारी, दस यति-धर्मो के बारी, तप सयम आदि विविध गुणोंसे युक्त, हाथी घोडा, गाडी, पालकी, रेल, साइकिल, मोटर, हवाइजहाज, ट्राम्बे, तामजान आदि किमी भी सवारी पर सवार न होने वाले, पैदल विहार करने वाले, छत्र, पादुका, जूता, मोजा आदि के त्यागी, निर्दोष आहार के ग्राहक, सचित्त जलके त्यागी, भक्ति-भाव से साथ चलने वाले गृहस्थ का तथा अपने लिए बनाया हुआ - आहार न लेनेवाले होते हैं । वे अपने लिए भोजन नही बनवाते, सिरके केशांकों लोच करते हैं, वायुकाय आदि की रक्षा के लिए मुख पर सदैव डोरा सहित मुखस्त्रका बाधे रहते हैं, जीवो की रक्षा के लीए रजेाहरण और પાચ સમિતિ ત્રણ ક્રુમિના પાલક, ષટ્કાયના રક્ષક, સસ બ્યસન અને આઠ મદાના ત્યાગી ગુપ્તપ્રાચારી, દસ યતિધર્માંના ધારક, તપ સયમ આદિ વિવિધ ગુણૈાથી युक्त हाथी, घोडा, गाडी, पासणी, रेस, सायम्स, भोटर, हवाई विमान, दावे આદૃિ કાઇ પણ વાહનપર સવાર ન થનારા, પગપાળા વિહાર કરનારા, ધૃત્ર, પાદુકા, જોડા, મેજા વગેરેના ત્યાગી, નિર્દોષ આહારના ગ્રાહક, સચિત્ત જળના ત્યાગી, ભકતભાવે સાથે ચાલનારા ગૃહસ્થાના અને પાતાને માટે બનાવવામા આવેલ આહાર ન લેનારા હાય છે તેઓ પેાતાને માટે ભેજન બનાવરાવતા નથી, માથા પરના કેશને લાચ કરે છે, વાયુકાય આદિની રક્ષાને માટે સુખપર સદેવ દેરા સાથેની
SR No.009331
Book TitleUpasakdashangasutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1961
Total Pages638
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_upasakdasha
File Size18 MB
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