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________________ Paper दुरुहइ दुरुहिता जेणेच पउमना गया तेणेव उवागच्छद उवागच्छित्ता सेय गोसीरहारधवल तणसीटियसिंदुवारकुदेंदुम निगासं निययनलस्स हरिसजणणं रिउमण्णविणासकर पत्र जण्णं सख परामुसइ परामुसित्ता मुहवायपुरिय करेइ, तएण तस्स पउमणाहस्स तेणं सससदेणं वलइभाए. हयजाव पडिसेहिए, तएणं सेकण्हे वासुदेवे धणु परामुसइवेढो धणु पूरेड पूरित्ता धणुसई करेइ, तएण तस्स पउमनाभस्त दोञ्चे बलइभाए तेण धणुसद्दण हयमहिय जाव पडिसेहिए, तएण से पउमणाभेराया तिभाग वलावसेसे अस्थामे अवले अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कमे अधारणिज्जत्तिकह सिग्धं तुरिय जेणेव अमरकका तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अमरकक रायहाणि अणुपविसइ अणुप विसित्ता दाराइ पिहेइ पिहित्ता रोहसज्जे चिट्टइ, तएण से कण्ह वासुदेवे जेणेव अमरकका तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता रह ठवेइ ठवित्ता रहाओ पच्चोरुहाइ पच्चोरुहिता बेउब्वियसमु ग्घाएणसमोहणइ,एगं मह णरसीहरूवविउव्वइ विउवित्ता महया महया सद्देणं पादददरयं करेइ, तएण से कण्हेण वासुदवण महया महया सद्देणं पाददद्दरएण कएण समाणेणं अमरकका रायहाणी सभग्गपागारगोपुराष्ट्रालयचरियतोरणपल्हथियपवरभवणसिरिघरा सरस्सरस्स धरणियले सन्निवइया, तएण से पउमणाभे राया अमरकक रायहाणि सभग्ग जाव पासित्ता भीए दोवईए देवीए सरणं उवेइ -सा
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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