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________________ अनगारामृतषिणी टी० अ० १६ दौपदीचरितवर्णनम् भो देवाणुप्पिया। वासुदेवपामुक्खाण वहणं रायसहस्साणं आवासे करेह तेवि करेत्ता पच्चप्पिणति, तएण दूवए वासुदेवपामुक्खाण वहणं रायसहस्साण आगम जाणेत्ता पत्तेयर हस्थिवध जाव परिवुडे अग्घ च पज च गहाय सवि. डिए कपिल्लपुराओ निग्गच्छइ निग्गच्छित्ता जेणेव ते वासुदेवपामुक्खा वहव रायसहस्सा तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता ताइ वासुदेवपामुक्खाइ अग्घेण य पज्जेण य सकारेइ सम्माइ सक्कारिता सम्माणित्ता तेसि वासुदेवपामुक्खाण पत्तेय२ आसे वियरह, तएणं ते वासुदेवपामाक्खा जेणेव सवार आवासा तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता हस्थिखधाहितो पच्चोरहति पच्चोरुहिता पत्तेय खधावारनिवेस करेंति करित्ता सए२ आवासे अणुपविसति अणुपविसित्ता मएसुर आवासमु य आसणेसु य लयणेसु य सन्निसन्ना य सतुयहा य बहहि गधवेहि य नाडएहि य उवगिजमाणा य उवणच्चिज्जमाणा य विहरति, तएणं से दुवए राया कपिल्लपुर नगर अणुपबिसड अणुपविलित्ता विउल असण४ उवक्खडावेइ उववखडावित्ता कोडुवियपुरिसे सदावेइ सदावित्ता एव वयासी-गच्छह णं तुभे देवाणुप्पिया | विउल असण सुर च मज्ज च मम च सीधु च पसपण च सुबहुपुप्फवस्थगंधमल्लालकार च वासुदेवपामोक्खाण रायसहस्साण आवासेसु साहरह, तेवि साहरति, तएण त वासुदेवपामुक्खा त विउलं बा ३६
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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