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________________ मगारधर्मामृतपिणी टी० स० ११ सुकुमारियाचरितवर्णनम् २३३ लिया अज्जा जाया ईरियासमिया जाव गुत्तबंभयारिणी वहूहिं चउत्थछट्टम जाव विहरइ, तपणं सा सूमालिया अजा अन्नया कयाइ जेणेव गोवालियाओ अज्जाओ तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता वंदइ नमसइ वदित्ता नर्मसित्ता एवं वयासीइच्छामि णं अज्जाओ। तुम्मेहि अम्भणुन्नाया समाणी चंपाओ चाहि सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स अदूरसामंते छछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं सूराभिमुही आयावेमाणा विहरित्तए, तएण ताओ गोवालियाओ अज्जाओ सूमालिय एवं वयासीअम्हे ण अज्जे । समणीओ निग्गंथीओ ईरियासमियाओ जाव गुत्तवंभयारिणीओ नो खलु अम्ह कप्पड़ वहिया गामस्स जाव सपिणवेसस्स वा छर जाव विहरित्तए, कप्पड़ पण अम्ह अतो उवस्सस्स विइपरिविखत्तस्स संघाडिवद्धियाए णं समतल पइयाए आयावित्तए, तरणं सा सूमालिया गोवालियाए एयमह नो सदहइ नो पत्तियइ नो रोएइ एयमटू अ०३ सुभूमिभागस्स उज्जाणस्ल अदूरसामते छुट्ट छट्टेणं जाव विहरइ ॥ सू०१३॥ टीका- ' तेण कालेन ' इत्यादि । तस्मिन् काले तस्मिन् समये ' गोवालियाओ अज्जाओ ' गोपालिमा = गोपालिकानाम्न्यः आर्या:=साध्न्यः, ' हुस्सुयाओ' पहुश्रुता = श्रुतपारगामिन्य एवम् अनेन प्रकारेण यथैव ' तेवलिणाए ' तेतलिज्ञाते = चतुर्दशे तेतलिपुनाध्ययने वर्णिताः 'सुन्वयाथो' सुनताः = सुत्रता 1 " तेण कालेन तेण समएण ' इत्यादि ॥ टीकार्थ- (तेण कालेन तेण समरण) उस काल और उस समय में (गोवालियाओ अजाओ बहुस्सुयाओ एव जहेब तेलिणार सुब्बयाओ ' सेण कालेन -वेण समएण ' इत्यादि अर्थ - ( तेण काण - वेण समएण ) ते जणे खते ते सभये ( गोनालियाओ अज्जाओ नहुस्सुयाओ पर जदेव तेयरिणाए मुव्रयाओ
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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