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________________ मनगारधर्मामृतपिणो टीका २० १५ नदिफलस्वरूपनिरूपणम १२७ टीका-'तएण से' इत्यादि । ततः खलु म ध यः सार्यवाह. शकटीगास्टं योजयति, योजयित्वा यौवादिच्छना नगरी तगोपागच्छति, उपागन्य अहिच्छ प्राया नगर्या पहिः अग्योद्याने मुख्योद्याने मार्यनिवेश करोति, कृत्वा शकटीशास्ट मोचयति । ततः खलु स धन्य सार्यवाहः 'महत्य' महाय-महामयो जनक. 'महग्ध' महाघ महामूल्य, 'महरिह' माई-महता योग्य 'रायरिह' राजा-राजयोग्य प्राभूत गृहाति, रीत्या बहुभिः पुरुपै. साई सपरित अहिच्छत्रा नगरी म-यम येन अनुमविशति, अनुपविश्य यऔर कनफेतू गजा कोपागच्छति, उपागत्य 'करयल जार वद्धावे.' करतल यापद् वर्धयति-कर 'तएण से धण्णे सत्यवाहे' इत्यादि। टीकार्थ-(तण्ण) इसके बाद (से घण्णे सत्यवाहे) उस धन्यमार्थवाहने (सगडी सागड जोयावेह जोयावित्ता जेणेव अहिरूठत्ता णयरी तेणेव उवागच्छद) वहा से अपने गोडी और गाडों को जुनवाया और जुतवा कर जरा अहिच्छत्रा नगरी थी उस ओर चल दिया। (उवागचिन्ता अहिच्छत्साए नयरीए पहिया अगुजाणे सनिवेस करेइ ) धीरे धीरे अहिच्छत्रा नगरी में वह पहुँच गया। वहा पहुँच कर उसने बाहर रहे हुए प्रधान पगीचे में अपने सार्थ को ठहरा दिया। (करित्ता सगडी सागड मोयावेइ ) और वही पर अपनी गाडी और गाडों को ढील दिया। (तरण से धण्णे मत्यवाहे महत्व ३ रायारिह पातुड गेण्हइ, गणिहत्ता याहिं पुरिसेहिं सद्वि सपरिचुडे अहिच्छत्त नयरि मज्झ मज्से ण अणुप्पविसह, अणुप्पविसित्ता जेणेव कणगकेज राया तेणेव उवाग तएण से धण्णे सत्यवाहे इत्यादि AtE-(तएण ) त्या२१६ (से धण्णे सत्यवाहे ) ते धन्यसाथ वाडे (सगडी सागडं जोयावेइ जोयावित्ता जेणे अहिच्छत्ताणपरो तेणेव उवागन्छ। ત્યાથી પિતાની ગાડીઓ અને ગાડાઓને જોતરાનીને જે તરફ અહિચ્છત્રા नगरी ती तशा त२५ थाना थया (उद्यागन्छित्ता अहिन्छत्ताए भयरीए पहिया अगुज्जाणे सत्थनिवेस करेइ ) सने धीमे धीमे मनिछत्रा नारीमा પહોચી ગયે ત્યા પહેચીને તેણે નગરીની બહાર આવેલા પ્રધાન ઉદ્યાનમાં पाताना साना मुम नाय (करित्ता सगढीसागड मोयावेइ) भने ત્યાં જ પોતાની ગાડીઓ અને ગાડાઓને છોડાવી નાખ્યા (तएण से धण्णे सत्याहे महत्थ ३ रायरिह पाहुड गेण्हइ, गेण्डित्ता यहुर्हि पुरिसेहिं सद्धि सपरिखुढे अहिच्छत्त नयरिंमा मझेण अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता
SR No.009330
Book TitleGnatadharmkathanga Sutram Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages1222
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size48 MB
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